केंद्र ने हाइकोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर उठाये सवाल
प्रवासी श्रमिकों को बांग्लादेश भेजने का मामला
प्रवासी श्रमिकों को बांग्लादेश भेजने का मामला कोलकाता. प्रवासी श्रमिकों के दो परिवारों को कथित रूप से बांग्लादेश भेजने की मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने कलकत्ता हाइकोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया. केंद्र के अधिवक्ता ने कहा कि हाइकोर्ट के पास इस मामले की सुनवाई करने का अधिकार नहीं है. हालांकि हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति ऋताब्रत कुमार मित्रा की खंडपीठ ने केंद्र के इस दावे को फिलहाल खारिज कर दिया है. अदालत ने निर्देश दिया है कि अधिकार क्षेत्र का मुद्दा मूल मामले के साथ ही विचार किया जायेगा. इसके बाद ही हाइकोर्ट ने केंद्र के अधिवक्ता से कहा कि वह हलफनामा देकर सबसे पहले बताये कि उन परिवारों को बांग्लादेश क्यों व कैसे भेजा गया. केंद्र का हलफनामा मिलने के बाद बाद राज्य सरकार और याचिकाकर्ता इसके जवाब में अपना पक्ष रखेंगे. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि एफआरओ ने कोई डिपोर्टेशन ऑर्डर नहीं दिया है. ऑर्डर में डिटेंशन/डिपोर्टेशन ऑर्डर लिखा है. इस पर केंद्र के अधिवक्ता ने कहा कि हमने पहले ही हलफनामा देकर कहा है कि हाइकोर्ट को इस मामले की सुनवाई का अधिकार नहीं है. वहीं, राज्य के अधिवक्ता ने दावा किया कि बांग्लादेश भेजा गया परिवार पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले का निवासी है और इसकी जानकारी गृह मंत्रालय को दी गयी है. लेकिन केंद्र की ओर से कोई जवाब नहीं आया. मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी.
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