मदर टेरेसा : बचपन से ही था समाजसेवा की ओर झुकाव

कोलकाता : मिशनरीज ऑफ चैरिटी की संस्थापक मदर टेरेसा को संत की उपाधि दी जायेगी. वेटिकन सिटी में आज पोप जॉन फ्रांसिस ने इस बात की स्वीकृति दी. अपने समाजिक कामों के लिए दुनियाभर में पहचान बनाने वाली मदर टेरेसा को शांति का नोबेल प्राइज से सम्मानित किया जा चुका है. अल्बानिया में जन्म अल्बानिया […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 15, 2016 7:10 PM

कोलकाता : मिशनरीज ऑफ चैरिटी की संस्थापक मदर टेरेसा को संत की उपाधि दी जायेगी. वेटिकन सिटी में आज पोप जॉन फ्रांसिस ने इस बात की स्वीकृति दी. अपने समाजिक कामों के लिए दुनियाभर में पहचान बनाने वाली मदर टेरेसा को शांति का नोबेल प्राइज से सम्मानित किया जा चुका है.

अल्बानिया में जन्म
अल्बानिया में 1910 मे जन्मीं मदर टेरेसा का कर्मभूमि भारत रहा. उन्होंने भारत आकर कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी नाम की संस्था की स्थापना की. इस संस्था ने गरीबों, अनाथ व कुष्टरोगियों के बीच काफी काम किया.
बचपन से ही समाजसेवा की ओर था झुकाव
समाजसेवा का राह चुनने के पीछे की वजह बताते हुए टेरेसा ने लिखा है कि जब वो दार्जालिंग की यात्रा कर रही थी. उस दौरान मेरे अंदर से आवाज उठी "मुझे सब कुछ त्याग कर देना चाहिए और अपना जीवन ईश्वर व गरीबों की सेवा में लगा देना चाहिए"मदर टेरेसा का झुकाव बचपन से ही समाज सेवा की ओर था, जिसके कारण उन्होंने रोमन कैथोलिक नन बनने का रास्ता अपनाया.
18 साल की उम्र में उन्होंने सिस्टर ऑफ लोरेटो को ज्वाइन कर लिया.वे फिर कभी अपने घर नहीं गयीं. हार्ट अटैक के कारण 5 सितंबर 1997 को मदर टेरेसा की मृत्यु हुई थी. उन्होंने एक बार कहा था ‘प्यार की भूख रोटी की भूख से कहीं बड़ी है.संत की उपाधि दिये जाने की घोषणा पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी के सिस्टर बनीजा ने कहा मदर टेरेसा समाज , गरीबों और चर्च को ईश्वर को दिया अनोखा उपहार था.

Next Article

Exit mobile version