भाजपा नेताओं पर एफआइआर, भड़के विजयवर्गीय व मुकुल ने कहा- तृणमूल की साजिश

– भाजपा के प्रत्येक नेता के खिलाफ दायर हैं कई एफआइआर कोलकाता : गुरुवार को भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और शुक्रवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के खिलाफ एआइआर दायर किये जाने को लेकर भाजपा नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस पर जबरदस्त हमला बोला है. भाजपा के महासचिव व प्रदेश के केंद्रीय प्रभारी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 31, 2020 9:04 PM

– भाजपा के प्रत्येक नेता के खिलाफ दायर हैं कई एफआइआर

कोलकाता : गुरुवार को भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और शुक्रवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के खिलाफ एआइआर दायर किये जाने को लेकर भाजपा नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस पर जबरदस्त हमला बोला है. भाजपा के महासचिव व प्रदेश के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा : ये तो एफआइआर दर्ज कर डराना चाहते हैं, ताकि हम चुनाव के दौरान प्रचार करने नहीं आयें और हमें गिरफ्तार कर लें. चुनाव में बिना प्रतिद्वंद्विता के जीत जाएं. ये ग्राउंड तैयार कर रहे हैं. जनता ने भी तय कर लिया है. अगले चुनाव में तृणमूल कांग्रेस का सफाया तय है.

उन्होंने कहा कि जिस तरीके से ममता बनर्जी सीएए का विरोध कर रही हैं. एक बहुत बड़े वर्ग जिन्हें दलित व शरणार्थी शामिल हैं. उनके खिलाफ हो गये हैं. दूसरी ओर, भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य मुकुल राय ने भाजपा नेताओं पर एफआइआर को राजनीतिक साजिश करार दिया है.

राय ने कहा कि गुरुवार को पुरुलिया में भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ एफआइआर दायर किया गया था, जबकि आज पाटुली में प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष के खिलाफ एआइआर दायर किया गया है. प्रत्येक दिन किसी ने किसी भाजपा नेता के खिलाफ एफआइआर दायर किये जा रहे हैं. उनके खिलाफ कई एफआइआर किये गये हैं.

उन्होंने कहा कि भाजपा का शायद ही कोई नेता है, जिसके खिलाफ एफआइआर दायर नहीं है. उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की रणनीति रही है कि वे नेताओं को कानूनी मामलों में फंसा दे. उनके खिलाफ मुकदमा दायर कर दे और झूठे मामले में फंसा दे, ताकि उन्हें परेशान किया जा सके.

उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं को झूठे मामले में फंसाने के हजारों उदाहरण हैं. यदि कोई मामला सामने नहीं आता है, तो उसे गांजा केस में फंसा दिया जाता है. भाजपा के कई कार्यकर्ताओं के खिलाफ गांजा केस है. अदालती मामले में फंसा कर उनके राजनीतिक क्रियाकलाप में बाधा दी जाती है.

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