देश के हालात छिपाने के लिए सीएए-एनआरसी का शिगूफा

बंगाल में नहीं बनेगा एक भी डिटेंशन सेंटर कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि देश में आर्थिक हालात बदहाल हैं. बेरोजगारी, महंगाई आदि की समस्या है. इन समस्याओं को दुरुस्त करने की बजाय, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार सीएए और एनआरसी का शगूफा सामने ला रही है. दरअसल देश के हालात […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 23, 2020 2:10 AM

बंगाल में नहीं बनेगा एक भी डिटेंशन सेंटर

कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि देश में आर्थिक हालात बदहाल हैं. बेरोजगारी, महंगाई आदि की समस्या है. इन समस्याओं को दुरुस्त करने की बजाय, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार सीएए और एनआरसी का शगूफा सामने ला रही है. दरअसल देश के हालात को छिपाने के लिए ही यह सबकुछ किया जा रहा है.
दार्जिलिंग में भानु भक्त भवन से चौक बाजार तक मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सीएए के खिलाफ रैली निकाली गयी. रैली के बाद आयोजित सभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि दार्जिलिंग से भले उन्हें चुनाव में वोट न मिलते हों लेकिन इसकी परवाह वह नहीं करतीं. वह दार्जिलिंग के लोगों के साथ नाइंसाफी नहीं देख सकती.
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि असम में एनआरसी के वक्त सूची से एक लाख गोरखा, 13 लाख बंगालियों और तीन लाख हिंदी भाषियों को निकाल दिया गया. आज देश के लोग डरे हुए हैं.
उन्हें पता नहीं कि वह देश में रह सकेंगे भी या नहीं. एनपीआर की बैठक में कई राज्य गये लेकिन बंगाल नहीं. वह सभी राज्यों से आग्रह करती हैं कि एनपीआर की प्रक्रिया में भाग न लें. इसमें मां-बाप के जन्म से संबंधित जानकारी मांगी गयी है. अब केंद्र सरकार कह रही है कि वह जानकारी अनिवार्य नहीं है. लेकिन अगर वह अनिवार्य नहीं तो उसे शामिल ही क्यों किया गया है.
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर अलग-अलग बयान देने का आरोप लगाया. भाजपा को ललकारते हुए उनका कहना था कि वह राजनीतिक तौर पर उनका मुकाबला करे. लेकिन भाजपा केवल भेदभाव की राजनीति करती है. उनका कहना था कि चुनाव के वक्त भाजपा आती है और गोरखालैंड की बात कहकर चुनाव
जीत जाती है और फिर वापस नहीं आती.
ममता बनर्जी ने कहा कि वह बंगाल में एक भी डिटेंशन सेंटर नहीं बनने देंगी. उन्होंने दावा किया कि एनआरसी के भय से बंगाल में 30 से अधिक लोगों ने आत्महत्या की है. सुश्री बनर्जी ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश के लखनऊ में आंदोलन कर रही महिलाओं के कंबल और पीने के पानी तक छीन लिये गये. सीएए के खिलाफ उनका आंदोलन तबतक जारी रहेगा जबतक उसे वापस नहीं ले लिया जाता.

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