एमडी-एमएस में दाखिला ले चुके 285 डॉक्टरों का एडमिशन रद्द

राज्य सरकार ने सर्विस डॉक्टरों को एमडी-एमएस करने का मौका दिया था कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर रद्द कर दिया गया एडमिशन कोलकाता : पश्चिम बंगाल में विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव पहले से ही है. राज्य सरकार जहां एमबीबीएस सह मास्टर इन मेडिसीन (एमडी) एवं मास्टर इन सर्जरी (एमएस) में सीटों की संख्या बढ़ाने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 18, 2019 2:22 AM

राज्य सरकार ने सर्विस डॉक्टरों को एमडी-एमएस करने का मौका दिया था

कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर रद्द कर दिया गया एडमिशन
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव पहले से ही है. राज्य सरकार जहां एमबीबीएस सह मास्टर इन मेडिसीन (एमडी) एवं मास्टर इन सर्जरी (एमएस) में सीटों की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही है, वहीं कुछ ऐसे भी डॉक्टर्स हैं, जिन्हें एमडी-एमएस करने का मौका ही नहीं मिल रहा था.
सरकारी अस्पताल में सेवारत डॉक्टरों को भी उच्च शिक्षा यानी एमडी-एमएस करने का मौका मिले, इसके लिए राज्य में ऐसे चिकित्सकों के लिए रिजर्व सीटें भी हैं. इसके बावजूद कुछ चिकित्सकों को पिछले कई सालों से एमडी-एमएस करने का अवसर नहीं मिल रहा था. इसे लेकर सर्विस डॉक्टर्स फोर की ओर से किये गये लगातार आंदोलनों से विवश होकर सरकार ने इस वर्ष सर्विस डॉक्टरों को एमडी-एमएस करने का मौका दिया था.
राज्य सरकार ने रिजर्व सीट पर 285 डॉक्टरों को इस शिक्षा वर्ष एमडी-एमएस की पढ़ाई करने का अवसर दिया था. एक मई से एमडी-एमएस की कक्षाएं भी शुरू हो चुकी हैं. लेकिन इस बीच कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर 285 सीटों पर दाखिला ले चुके डॉक्टरों का एडमिशन रद्द कर दिया गया है. इसे लेकर सर्विस डॉक्टर्स फोरम की ओर से राज्य के स्वास्थ्य सेवा निदेशक (डीएचएस), स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक (डीएमइ) एवं मुख्य स्वास्थ्य सचिव को ज्ञापन सौंपा गया है.
यह जानकारी सर्विस डॉक्टर्स फोरम के महासचिव डॉ सजल विश्वास ने दी है. उन्होंने बताया कि एमडी-एमएस में सर्विस कोटा सीट पर दाखिला लेनेवाले सभी मेधावी छात्र हैं. राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) देकर ही दाखिल लिये हैं. लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद एडिमशन रद्द हो गया है. रद्द कर दिये गये सीट पर अब इस वर्ष दूसरे छात्र भी दाखिला नहीं ले सकेंगे, जो हमारे राज्य के लिए बहुत बड़ा झटका है. डॉ विश्वास ने कहा कि रिजर्व सीट पर दाखिला लेनेवाले सभी डॉक्टर तीन साल ग्रामीण अस्पतालों में प्रैक्टिस भी कर चुके हैं.
ऐसे में इन्हें उच्च शिक्षा के लिए अगर अनुमति नहीं दी जाती है, तो राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी सदा बनी रहेगी, जिससे हमारे राज्य को नुकसान पहुंचेगा. वहीं ग्रमीण इलाकों में रहने वाले लोगो‍ं को विशेषज्ञ चिकित्सकों से इलाज कराने का मौका भी नहीं मिलेगा. डॉ विश्वास ने बताया कि कोर्ट के उक्त फैसले के खिलाफ सर्विस डॉक्टर्स फोरम की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गयी है. राज्य के स्वास्थ्य सेवा निदेशक प्रो. डॉ अजय चक्रवर्ती ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोर्ट के उक्त फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की जायेगी.

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