नेहरू से मोदी तक किसी ने नेताजी के अवशेष लाने की कोशिश नहीं की : रे

कोलकाता : नेताजी सुभाषचंद्र बोस के पोते आशीष रे ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्ववाली पहली सरकार से लेकर आज के नरेंद्र मोदी सरकार तक सभी प्रशासन नेताजी सुभाष चंद्र बोस के लापता होनेवाली ‘सच्चाई’ में यकीन रखते आये हैं, लेकिन उन्होंने जापान से नेताजी के अवशेष लाने की कोशिश नहीं की. श्री रे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 25, 2018 4:40 AM
कोलकाता : नेताजी सुभाषचंद्र बोस के पोते आशीष रे ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्ववाली पहली सरकार से लेकर आज के नरेंद्र मोदी सरकार तक सभी प्रशासन नेताजी सुभाष चंद्र बोस के लापता होनेवाली ‘सच्चाई’ में यकीन रखते आये हैं, लेकिन उन्होंने जापान से नेताजी के अवशेष लाने की कोशिश नहीं की. श्री रे ने बताया कि विभिन्न सरकारों ने तोक्यो के रेनकोजी मंदिर से नेताजी के अवशेष वापस लाने के लिए बोस के विस्तारित परिवार और उन राजनीतिक पार्टियों तक पहुंचने के बेहद कम प्रयास किये, जो अवशेष की वापसी का विरोध कर रहे थे.
दशकों से यह गहरा रहस्य बना रहा कि इस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महान नायकों में से शामिल नेताजी की मौत कैसे और कब हुई. श्री रे को आशा है कि उनकी नयी किताब ‘लेड टू रेस्ट : द कंट्रोवर्सी ओवर सुभाष चंद्र बोसेज डेथ’ इस विवाद को खत्म करेगी. नेताजी की मौत से संबंधित 11 विभिन्न जांचें इस किताब में संग्रहित की गयी हैं और यह निष्कर्ष निकाला गया है कि उनकी मौत 18 अगस्त, 1945 को ताइपे में एक विमान दुर्घटना में हुई थी.
श्री रे ने लंदन स्थित अपने आवास से फोन पर बताया :नेहरू सरकार से लेकर मोदी सरकार तक, प्रत्येक प्रशासन नेताजी की मौत से जुड़ी सच्चाई में यकीन रखते हैं. लेकिन अभी तक उनके अवशेष को भारत लाने में विफल रहे हैं. लेखक ने कहा : भारत सरकार तोक्यो के रेनकोजी मंदिर में रखे गये बोस के अवशेष को संरक्षित रखने के लिए भुगतान करती है. बोस के विस्तारित परिवार और कुछ राजनीतिक पार्टियों ने अवशेष को लाने का विरोध किया, लेकिन केंद्र सरकार ने विरोध करनेवालों से संपर्क करने का सही तरह से प्रयास नहीं किया. उन्होंने कहा कि 1995 में तात्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और उनके विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अवशेष लाने की एक कोशिश की, लेकिन वे काम पूरा नहीं कर पाये. लेखक ने दूसरी सरकारों को लापरवाही के लिए दोषी बताया. उन्होंने कहा कि नेताजी के अवशेष नहीं लाकर देश ने उनके साथ बड़ा अन्याय किया है. लेखक ने अपनी किताब में 11 आधिकारिक और गैर आधिकारिक जांच का जिक्र किया है.
इनमें से चार जांच भारत ने, तीन ब्रिटेन ने, तीन जापान और एक ताइवान ने कराये. ज्यादातर जांच सार्वजनिक नहीं की गयीं. उन्होंने कहा कि इनमें से हर एक जांच इस बात पर जोर देती है कि नेताजी की मौत 18 अगस्त 1945 को ताइपे में विमान दुर्घटना में हुई थी. इस किताब की प्रस्तावना बोस की बेटी अनिता फाफ ने लिखी है. फाफ जापान के मंदिर में पड़े हुए बोस के अवशेष की डीएनए जांच की मांग करती आयी हैं.