हम बीएलओ भी इंसान, बंद करें मानसिक उत्पीड़न
आंदोलन. गणना-प्रपत्र संग्रह व जमा करने का कार्य समाप्त होने के बाद भी बीएलओ त्रस्त, बीडीओ ऑफिस पर प्रदर्शन
विभिन्न नारे लिखी तख्तियां लेकर दर्जनों बीएलओ ने सालानपुर बीडीओ दफ्तर के समक्ष जताया प्रतिवाद, बीडीओ से मिले आसनसोल/रूपनारायणपुर. हम बीएलओ पशु नहीं, इंसान हैं, नया-नया ऑप्शन देकर बीएलओ के उपर दाबाव क्यों बढ़ाया जा रहा है? अमानवीय मानसिक अत्यचार बंद हो, इस प्रकार के नारों लिखे तख्तियां हाथों में लेकर गुरुवार को सालानपुर बीडीओ कार्यालय के समक्ष इलाके के बीएलओ धरना पर बैठकर प्रदर्शन किया और बीडीओ से मुलाकात कर अपनी समस्याएं सुनायी. बीडीओ ने उनकी बातें सुनी, हालांकि उन्होंने बीएलओ की समस्या समाधान को लेकर कोई आश्वासन नहीं दिया. बीडीओ ने बताया कि जो काम हुआ या चल रहा है वह पूरी तरह से इसीआई के गाइडलाइन पर किया जा रहा है. इसमें मेरे स्तर पर करने को कुछ नहीं है. जैसा निर्देश होगा, उसपर कार्य करना होगा. हमलोगों की ओर से बीएलओ का हर प्रकार से समर्थन है. जब भी कोई बीएलओ समस्या में गिरा है, कार्यालय से हर प्रकार से मदद किया गया है.. एसआइआर के तहत राज्य में गणना प्रपत्र वितरण करने, संग्रह करने और सभी फॉर्म को ऑनलाइन अपलोड करने का कार्य समाप्त होने के बाद भी बूथ स्तर अधिकारी (बीएलओ) के समस्या का अंत नहीं हुआ. एसआइआर प्रक्रिया के दौरान पिछले सवा महीने तक बीएलओ दिनरात एक करके इस कार्य को पूरा किया. दिन में गणना प्रपत्र वितरण करना, इसे सही तरीके से भरवाना या खुद भर देना, उसे संग्रह करना और रात को ऑनलाइन अपलोड करने का चुनौतीपूर्ण कार्य पूरा किया. इस दौरान वे अपनी समस्यायों को लेकर लगातार मुखर भी रहे. इस कार्य को लेकर अतिरिक्त दाबाव नहीं झेल पाने के कारण कथित तौर पर कुछ बीएलओ ने आत्महत्या भी किया. हालांकि एसआइआर का यह कार्य गुरुवार को समाप्त हो गया. इसके बाद भी बीएलओ की समस्या समाप्त नहीं हुई है. अपनी समस्याओं को लेकर शुक्रवार को बाराबनी विधानसभा क्षेत्र के सालानपुर प्रखंड के बीएलओ स्थानीय बीडीओ कार्यालय के समक्ष धरना पर बैठकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन कर रहे बीएलओ ने बताया कि पिछले सवा महीने तक हमलोगों ने अपना सारा कुछ भूलकर युद्ध स्तर पर गणना प्रपत्र वितरण करने, संग्रह करने और अपलोड करने का कार्य पूरा किया. हर दिन कुछ न कुछ नया अपडेट दिया जा रहा है. जिसके संबंध में हमलोगों को कोई धारणा ही नहीं है. अब एक नया एप्लिकेशन दिया गया है. जिसे समझने में हमलोगों को दिक्कत हो रही है. हमलोग काफी मानसिक दाबाव में कार्य कर रहे हैं. हमलोग भी इंसान हैं यह चुनाव आयोग को समझना होगा. जिसके खिलाफ ही यह प्रदर्शन किया गया.
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