राशन का आटा खाने योग्य नहीं शिकायत के बाद जांच का आदेश
सरकार से आवंटित इस आटा की कीमत प्रति किलो 28.50 रुपये का होता है.
राशन दुकान में मिलनेवाली आटा की कीमत होती है 28.50 रुपये प्रति किलो, फिर भी नहीं होती है खाने योग्य मुफ्त में मिलने के कारण कोई नहीं करता है इसकी परवाह, सालानपुर में कुछ लोगों ने फूड एंड सप्लाई विभाग के ग्रीवेंस सिस्टम में कर दी शिकायत
आसनसोल/रूपनारायणपुर. सरकारी राशन दुकानों (फेयर प्राइस शॉप) में मिलनेवाली आटा खाने योग्य नहीं होती है. इसमें बालू मिला होता है. इससे बननेवाली रोटी का एक निवाला भी बड़ी मुश्किल से लोग खा पाते हैं. गरीबों के लिए कोई उपाय नहीं है, वे यही आटा खाने को मजबूर है. सरकार से आवंटित इस आटा की कीमत प्रति किलो 28.50 रुपये का होता है. ग्राहकों को जो रसीद मिलती है, उसमें इसकी कीमत यही बताया गया है. इसके बावजूद भी यह आटा इतना खराब क्यों होता है? सरकारी राशन आवंटन प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी की आशंका जताते हुए सालानपुर प्रखंड के कुछ लोगों ने यह आरोप लगाते हुए पश्चिम बंगाल राज्य सरकार फूड एंड सप्लाई विभाग के ग्रीवेंस सिस्टम में शिकायत की. इस शिकायत को संज्ञान में लेते हुए विभाग ने सालानपुर के फूड इंस्पेक्टर को जांच का आदेश दिया है.गौरतलब है कि केंद्र सरकार की राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत कुल तीन केटेगरी में लोगों को राशन (चावल और आटा) मिलता है. जिसमें प्रायरिटी हाउस होल्ड (पीएचएच) और स्पेशल पीएचएच केटेगरी में एक कार्ड पर पांच किलो और अन्तर्दय अन्न योजना (एएवाई) केटेगरी में प्रति परिवार को महीने में 35 किलो अनाज मिलता है. इसके साथ राज्य सरकार की खाद्य सुरक्षा योजना के तहत दो केटेगरी आरकेएसवाई वन केटेगरी में हर कार्ड पर पांच किलो और आरकेएसआई दो केटेगरी में हर कार्ड में दो किलो अनाज महीने का मिलता है. इसमें आधा चावल और आधा आटा दिया जाता है. सरकारी रसीद में चावल की कीमत प्रति किलो 40.42 रुपये और आटा की कीमत 28.50 पैसे लिखा होता है.
सालानपुर प्रखंड के विभिन्न इलाके के लोगों ने स्थानीय लोगों ने राशन दुकान खराब आटा वितरण करने का आरोप लगाकर राज्य के फूड एंड सप्लाई विभाग में शिकायत की. सभी शिकायतों को विभाग की ओर संज्ञान में लिया गया और जांच का आदेश दिया गया है.किन-किन इलाके से लोगों ने की है शिकायत
देंदुआ ग्राम पंचायत के रामडी इलाके के निवासी अमरनाथ महतो, अल्लाडी ग्राम पंचायत अंतर्गत बराभुई गांव के निवासी देवेन हांसदा, बासुदेव जेमारी ग्राम पंचायत के शेखपाड़ा इलाके के निवासी सद्दाम हुसैन, जेमारी इंदिरा आवास कॉलोनी के निवासी रंजन शर्मा ने अपनी शिकायत फूड एंड सप्लाई विभाग में भेजी है. इनलोगों कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत राशन दुकानों से जो आटा मिल रहा है, उसमें बालू मिला रहता है. यह स्वास्थ पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है, यह सिर्फ मेरे परिवार के सदस्यों पर ही नहीं, पूरे समाज के लोगों पर इसका असर पड़ रहा है. इस आटा से जो रोटी बनता है, वह किसी तरह खाने योग्य नहीं है. सभी ने अपने-अपने राशन डीलर का नाम और आइडी नम्बर भी दिया है. शिकायत मिलते ही फूड एंड सप्लाई विभाग ने मामले को संज्ञान में लिया और जांच का आदेश दिया है. शिकायतकर्ता अमरनाथ ने कहा कि राशन दुकान से सीलबंद पैकेट में आटा मिला हुआ है. राशन लेनेवाले सभी के घरों में यह आटा मौजूद है. इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. लाखों लोगों की जिंदगी का सवाल है. जहां यह आटा पिसाई हो रहा है, संभवतः वहीं गेंहू के साथ मिट्टी बालू पिसाई की जा रही है. स्थानीय राशन डीलर ने बताया कि उनलोगों के पास जैसा सप्लाई आता है, वे लोग वैसा ही वितरण करते हैं. आटा पैकेट में आता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
