पीडी काजोड़ा इलाके में भू-धंसान से लोग दहशत में, चार लोगों ने किया आवास खाली

दहशत. इसीएल के विभिन्न इलाकों में भू-धंसान की घटना को लेकर प्रबंधन की बढ़ी परेशानी

By GANESH MAHTO | December 29, 2025 12:30 AM

यहां लोग करते थे खेती, धंसान से सब्जियों की फसल नष्ट हो गयीं, लोगों की जान भी खतरे में

अंडाल. इसीएल काजोड़ा एरिया के खास काजोड़ा कोलियरी अंतर्गत पीडी काजोड़ा इलाके में रविवार भोर में भू-धंसान की घटना ने लोगों को आतंकित कर दिया है. जहां धंसान हुई है, वहां से कुछ मीटर की दूरी पर इसीएल का आवासीय कॉलोनी है. यहां 15 आवास हैं. चार आवास जो एकदम नजदीक है, वहां रहनेवालों को प्रबंधन ने अस्थायी तौर पर दूसरे जगह शिफ्ट कर दिया गया. जो जमीन धंसी है, उस पर सब्जियों की खेती हुई थी. घटना की सूचना मिलते ही खास काजोड़ा कोलियरी के अधिकारी प्रभाकर कुमार पासवान पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया. मौके पर तृणमूल नेता व पश्चिम बर्दवान जिला परिषद के उप सभाधिपति विष्णुदेव नोनिया पहुंचे और उन्होंने इसीएल पर आरोप लगाया कि प्रबंधन की लापरवाही से इलाके में बार-बार धंसान की घटनाएं हो रही है, जिससे इलाके के लोग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. इसका जल्द ही कोई स्थायी समाधान नहीं होने से जान-माल की भारी तबाही हो सकती है. प्रबंधन ने कहा कि धंसान क्षेत्र की भरायी जल्द कर दी जायेगी. इलाके की घेराबंदी कर दी गयी है, ताकि कोई व्यक्ति उस क्षेत्र में न जाये.

गौरतलब है कि इसीएल के विभिन्न इलाकों में भू-धंसान की घटना आम हो गयी है, जो प्रबंधन के लिए परेशानी का बड़ा कारण बनता जा रहा है. कुछ इलाकों में भूगर्भीय आग में प्रबंधन के लिए अलग से परेशानी खड़ी की हुई है. इस प्रकार के डेंजर जोन में रहनेवाले लोगों के लिए यह बड़ा खतरा है. जिसके कारण लोग दहशत में है. स्कूल आ गया था धंसान की चपेट में, उसे हटाया गया यहां से : खास काजोड़ा कोलियरी इलाके में एक के बाद एक धंसान की घटना से लोग दहशत में हैं. कुछ दिनों पहले ही इसी इलाके में जहां रविवार को धंसान हुई, वहां एक स्कूल का हिस्सा धंसान की चपेट में आ गया था, जिसके कारण स्कूल को खाली कराया गया और उसे इसीएल के एक आवास में शिफ्ट किया गया है. रविवार की पुनः धंसान की घटना ने प्रबंधन की परेशानी को और बढ़ा दिया है. फिलहाल चार आवासों में रहनेवाले परिवारों को दूसरे जगह शिफ्ट किया गया हैं. यहां 11 आवास और भी हैं. हालांकि यह धंसान क्षेत्र से थोड़ी दूरी पर है. इसके बावजूद भी यहां के लोग दहशत में हैं.

अंदर जमीन खोखली होने के कारण हो रही हैं धंसान की घटनाएं

इसीएल के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अंग्रेजों के जमाने से इन इलाकों से कोयला निकाला जा रहा है. आजादी के बाद निजी मालिकाना के अधीन यह खदानें चली. उस दौरान सिर्फ भूमिगत खदानें ही होती थी. नियमतः कोयला निकालने के बाद उस इलाके की बालू से भरायी कर दी जाती है, ताकि जमीन न धंसे. कोलियरियों के राष्ट्रीय होने से पहले अवैज्ञानिक तरीके से खनन का कार्य चला है. सिर्फ कोयला निकालना ही मुख्य उद्देश्य था. जिसके कारण अनेकों जगह पर जमीन के अंदर खोखला है. जिसके कारण समय-समय पर धंसान होती है. अनेकों जगहों को डेंजर जोन घोषित किया गया है. वहां निर्माण कार्य पर पूरी तरह से रोक लगा दी गयी है. आगामी दिनों में भी इसतरह धंसान की घटनाएं हो सकती हैं. यह कोई हैरान करनेवाली बात नहीं होगी. प्रबंधन इससे बचाव के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है.

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