रानीगंज में टीएमसी कार्यालय को किराना दुकान में बदलने को लेकर विवाद
सियारसोल राज हाइस्कूल के पास तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक पार्टी कार्यालय को किराना दुकान चलाने के लिए दिये जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.
स्थानीय कार्यकर्ताओं ने फैसले पर जतायी आपत्ति, सुभाष बनर्जी पर लगाये आरोप
प्रतिनिधि, रानीगंज.
शिशु बागान इलाके में स्थित सियारसोल राज हाइस्कूल के पास तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक पार्टी कार्यालय को किराना दुकान चलाने के लिए दिये जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. यह कार्यालय आसनसोल नगर निगम के वार्ड नंबर 36 के अंतर्गत आता है. स्थानीय टीएमसी कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय का विरोध करते हुए सीधे तौर पर पार्टी के ही कार्यकर्ता सुभाष बनर्जी पर आरोप लगाया है.
टीएमसी कार्यकर्ता अभिमन्यु भगत ने कहा कि यह कार्यालय पार्टी के कामकाज के लिए है, न कि किसी व्यावसायिक गतिविधि के लिए. उन्होंने बताया कि जब उन्होंने दुकान संचालक से बात की तो उसने कहा कि सुभाष बनर्जी ने उसे दुकान खोलने की अनुमति दी है. भगत का कहना है कि बनर्जी को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब इस मामले पर बातचीत के लिए सुभाष बनर्जी से संपर्क किया गया, तो उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया और बहस पर उतर आये.
स्थानीय नेतृत्व से की शिकायत, पार्टी की छवि पर सवाल
एक अन्य टीएमसी कार्यकर्ता मुन्ना केसरी ने भी इस पर नाराजगी जतायी. उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यालय की गरिमा बनी रहनी चाहिए और उसमें दुकान चलाने जैसी गतिविधियों की कोई जगह नहीं है. उन्होंने मांग की है कि दुकान को वहां से हटाया जाये और पार्टी कार्यालय को उसकी मूल स्थिति में लौटाया जाये. दोनों कार्यकर्ताओं ने कहा कि दुकानदार के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करना सुभाष बनर्जी की जिम्मेदारी है और वे इस मामले की जानकारी स्थानीय चेयरमैन को भी देंगे.
वहीं, किराना दुकान चला रहे अजय तिवारी ने बताया कि पहले उनकी दुकान कहीं और थी लेकिन कुछ कारणों से उन्हें हटना पड़ा. उन्होंने सुभाष बनर्जी से अस्थायी तौर पर इस स्थान पर दुकान चलाने की अनुमति मांगी थी और अभी उन्हें यहां केवल दो-तीन दिन ही हुए हैं. तिवारी का कहना है कि यह एक मानवीय कदम था और सुभाष बनर्जी ने एक जरूरतमंद की मदद की है. इस पूरे मामले पर सुभाष बनर्जी से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गयी लेकिन उन्होंने किसी भी टिप्पणी से इनकार कर दिया. अब नजर इस बात पर है कि टीएमसी का स्थानीय नेतृत्व इस विवाद को किस तरह सुलझाता है और पार्टी कार्यालय की स्थिति को लेकर क्या फैसला करता है.
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