ओनीर ने मुख्य न्यायाधीश को कहा,अब मैं अपराधी बन गया हूं

कोलकाता : हाल में ही उच्चतम न्यायालय द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को ‘अपराध’ का दर्जा देने के निर्णय के खिलाफ स्वतंत्र विचारों वाले फिल्मकार ओनीर ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखकर कहा है कि अब वे ‘अपराधी’ हो गए हैं.ओनीर ने मुख्य न्यायाधीश पी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 14, 2014 3:33 PM

कोलकाता : हाल में ही उच्चतम न्यायालय द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को ‘अपराध’ का दर्जा देने के निर्णय के खिलाफ स्वतंत्र विचारों वाले फिल्मकार ओनीर ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखकर कहा है कि अब वे ‘अपराधी’ हो गए हैं.ओनीर ने मुख्य न्यायाधीश पी सदाशिवम को लिखे पत्र में कहा, ‘‘कानून का पालन करने वाले नागरिक के रुप में मुङो गर्व है, लेकिन 11 दिसंबर 2013 को उच्चतम न्यायालय द्वारा सुनाए गए निर्णय के मुताबिक जो मेरी पहचान है उसके अनुसार अब मैं एक अपराधी बन गया हूं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज एक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मकार के रुप में मैं इस बात से हतोत्साहित महसूस करता हूं कि मेरे देश में मेरी पहचान एक अपराधी के रुप हो गई है.’’ उन्होंने कहा कि यह विडंबना ही है कि उनकी फिल्म ‘आई एम’ जिसमें उन्होंने एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों को उठाया था उसे राष्ट्रपति द्वारा सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का पुरस्कार दिया गया था. लेकिन उच्चतम न्यायालय ने उनकी आवाज उनसे छीन ली है.‘माई ब्रदर निखिल’ और ‘आई एम’ जैसी समलैंगिक संबंधों पर आधारित फिल्मों के लिए जाने जाने वाले निर्देशक ने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश ने एलजीबीटी (लेस्बियन, गे, बाईसेक्शुअल और ट्रांसजेंडर) समुदाय के संवैधानिक समानता के अधिकार को नकार दिया है.

Next Article

Exit mobile version