धर्मांतरण विरोधी कानून पर हाईकोर्ट में योगी सरकार की दलील- ‘व्यक्तिगत से ऊपर है सामुदायिक हित’

UP Love Jihad Law: कोर्ट में योगी सरकार ने हलफनामे में कहा है कि धर्मांतरण कानून के जरिए समाज और परिवार की भावना को सुरक्षित रखना है.

By Prabhat Khabar | October 26, 2021 9:44 AM

यूपी में धर्मांतरण कानून को लेकर योगी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. सरकार ने कानून के बचाव में कहा है कि व्यक्तिगत हित हमेशा सामुदायिक हित से बड़ा नहीं हो सकता है. सरकार ने आगे कहा है कि यह कानून व्यक्ति की गरिमा को बचाने के लिए लाया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी के विशेष सचिव (गृह) की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि धर्म परिवर्तन में जब व्यक्ति एक धर्म से दूसरे धर्म में जाता है, तो उसकी गरिमा का रक्षा नहीं होता. कोर्ट में सरकार ने आगे कहा है कि इस कानून के जरिए समाज और परिवार की भावना को सुरक्षित रखना है.

मौलिक अधिकार को लेकर कही ये बात – यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि अंतर मौलिक अधिकारों का जहां तक सवाल है, ये मौलिक अधिकार समुदाय के अधिकारों की तुलना में एक व्यक्ति के अधिकार हैं. बता दें कि एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनिशिएटिव्स ट्रस्ट द्वारा इस कानून के विरोध में इलाहाबाद कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.

गौरतलब है कि इसी साल यूपी में विधानसभा और विधानपरिषद से धर्मांतरण पर कानून बनाया गया है, जिसमें शादी समेत छल, कपट या बलपूर्वक धर्म परिवर्तन कराने को संज्ञेय अपराध बनाते हुए अधिकतम 10 साल की कैद और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है .

वहीं नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के मामले में यह सजा तीन साल से 10 वर्ष तक की होगी और 25000 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा. इसके अलावा सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में अधिकतम 10 साल की कैद और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है.

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