यूपी के 1.1 लाख लोक कलाकारों को सरकार देगी मंच, विलुप्त होती कलाओं को जिंदा करने का मास्टर प्लान तैयार
भजन-कीर्तन मंडलियों के पास पांच वर्ष तक कार्यक्रम प्रस्तुति का अनुभव होने की आवश्यकता है और मंडली में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 25 सदस्य होना चाहिए.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रयागराज में लोक कला मंडलियों को प्रस्तुति का मंच देने की योजना शुरू की है. इसके तहत भजन-कीर्तन मंडली, राम लीला, और कृष्ण लीला जैसी लोक कलाओं की प्रस्तुतियां देने वाली संस्थाओं को सरकार मंच प्रदान करेगी. इसके लिए स्थानीय मेलों, त्योहारों, उत्सवों, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में इन्हें प्रस्तुति का अवसर दिया जाएगा.लोक कलाकारों के लिए गाइड लाइन जारी की है, जिसमें भजन-कीर्तन मंडलियों के पास पांच वर्ष तक कार्यक्रम प्रस्तुति का अनुभव होने की आवश्यकता है और मंडली में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 25 सदस्य होना चाहिए. संस्थाओं का पंजीकरण भी प्रशासन द्वारा किया जा रहा है. योगी सरकार के इस प्रयास से उत्तर प्रदेश में लोक कलाओं को पुनर्जीवन का मौका मिलेगा और वे लोक कलाएं जो समाज में जीवन मूल्यों को पहुंचाती हैं, उन्हें आगे ले जाने का रास्ता निकलेगा. यह योजना लोक कलाकारों के लिए संजीवनी साबित होगी.
स्थानीय मेलों, त्योहारों, उत्सवों में लोक कला मंडलियों को मिलेगा मंच
उत्तर प्रदेश में लोक कलाओं की समृद्ध विरासत है. यहां हर अंचल और क्षेत्र की अपनी लोक कला है जिसे यहां के लोक कलाकार प्रस्तुतियां देकर जीवंत रखते रहे हैं. तकनीकी के विकास के साथ इन लोक कलाओं की प्रस्तुतियां कम होती गईं जिससे कई लोक कलाएं विलुप्त होने की स्थिति में पहुंच गईं. योगी सरकार ने इन्हें पुनर्जीवन देने के लिए प्रयास शुरू किये हैं. प्रयागराज के डीएम संजय कुमार खत्री के मुताबिक़ भजन -कीर्तन मंडली, राम लीला और कृष्णलीला जैसी लोक कलाओं की प्रस्तुतियां देने वाली संस्थाओं को प्रदेश सरकार मंच प्रदान करेगी. इन संस्थाओं से जुड़े लोक कलाकारों और लोक मंडलियों का पंजीकरण कराने के लिए प्रशासन की तरफ से प्रयास शुरू कर दिए गए हैं. स्थानीय मेलों, त्योहारों, उत्सवों और सांस्कृतिक विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रमों में इन्हें प्रस्तुति का अवसर दिया जाएगा.
राज्य सरकार ने जारी की गाइड लाइन
अब प्रदेश में भजन – कीर्तन मंडली, राम लीला और कृष्ण लीला से जुड़ी लोक कलाओं के संरक्षण के साथ उन्हें प्रस्तुति का मंच मिलेगा. लोक कलाकार आजीविका के साधनों से जुड़ेंगे. इसके लिए सरकार की तरफ से गाइड लाइन जारी की गई है. इसके लिए भजन – कीर्तन मंडली के पास पांच वर्ष तक कार्यक्रम प्रस्तुति का अनुभव होना चाहिए. मंडली में कम से कम 5 और अधिक से अधिक 25 सदस्य होना चाहिए . यह भी अनिवार्य है कि यह मंडली अगर किसी मंदिर किसी मंदिर से सम्बद्ध है तो उसका भी प्रमाणपत्र होना चाहिए. इसके लिए प्रदेश के संस्कृति विभाग की वेबसाइट पर नि:शुल्क पंजीकरण कराना अनिवार्य है.
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लोक कलाओं के लिए संजीवनी साबित होगी योजना
विविधताओं का राज्य है – उत्तर प्रदेश. यह विविधता यहाँ की आंचलिक लोक परम्पराओं और लोक कलाओं में विशेष रूप से मुखर होकर सामने आती हैं. भारतीय लोक कला महासंघ के अध्यक्ष अतुल यदुवंशी का कहना है कि प्रदेश में लोक कलाओं से जुड़े 11,7,251 लोक कलाकार विभिन्न सर्वे में चिन्हित किये गए हैं . इसमें कई कलाकार तो अपनी जीविका चलाने के लिए इससे दूर हटने को विवश हो गए हैं . किसी सरकार ने इन्हें प्रस्तुति का मंच देने का विचार अब तक नहीं किया.
लोक कला नौटंकी के लेखक राजकुमार श्रीवास्तव का कहना है योगी सरकार के इस प्रयास से लोक कलाओं को बड़ा संबल मिलेगा . वो लोक कलाएं जो हमारे लोक जीवन से हमारे समाज में जीवन मूल्यों को अगली पीढियों तक पहुंचाती हैं उन्हें आगे ले जाने का रास्ता निकलेगा.