UP News: डीजीएमई के पद पर आईएएस अफसर किंजल सिंह की तैनाती पर उठे सवाल, हाईकोर्ट में आज सुनवाई, जानें मामला

यूपी में डीजीएमई के पद को लेकर एक बार फिर विवाद गहरा गया है. प्रदेश सरकार ने इस पद पर आईएएस अफसर किंजल सिंह की नियुक्ति की है, जबकि ये पद मेडिकल कॉलेजों के आयोग से चयनित प्रधानाचार्य से भरने का नियम है. इस मामले में जनहित याचिका पर आज 31 मई को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई होगी.

By Sanjay Singh | May 31, 2023 6:52 AM

Lucknow: यूपी में चिकित्सा शिक्षा व प्रशिक्षण महानिदेशक (डीजीएमई) के पद पर आईएएस अफसर किंजल सिंह की नियुक्ति को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी गई है. इस जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई होगी.

इस मामले को लेकर अधिवक्ता मोतीलाल यादव ने याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि नियमों के मुताबिक डीजीएमई पद पर आईएएस अफसर की तैनाती करना गलत है. यह संबंधित नियम कानून के खिलाफ है. याचिका में हाईकोर्ट से मामले को लेकर आदेश जारी करने करने की अपील की गई है.

इसके साथ ही यह भी पूछा गया है कि कृपया स्पष्ट किया जाए कि किस अधिकार से किंजल सिंह को डीजीएमई के पद पर नियुक्त किया गया है. उनके पास चिकित्सा की कोई डिग्री नहीं होने का हवाला देते हुए इस पद पर कार्य करने से रोकने को लेकर राज्य सरकार को निर्देश जारी करने की गुजारिश की गई है.

Also Read: बरेली में बंद होगी ‘यात्रीगण कृपया ध्यान दें’ की आवाज, रेलवे ने साइलेंट स्टेशन पर मांगी अफसरों से राय

अधिवक्ता मोतीलाल यादव ने याचिका में पांच लोगों को प्रतिवादी बनाया गया है. इसमें चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव, डीजीएमई, आईएएस अफसर किंजल सिंह और यूपीपीएससी चेयरमैन प्रयागराज शामिल हैं.

खास बात है कि इससे पहले 1995 में ऐसे ही प्रकरण में कोर्ट के आदेश पर आईएएस अफसर एसके खरे को पद से हटाया गया था. हालांकि इसके बाद भी प्रदेश सरकार अक्सर डीजीएमई के पद पर आईएएस अफसर की तैनाती करती रहीं हैं. विवाद बढ़ने पर कार्यवाहक के रूप में प्रधनाचार्य की तैनाती कर दी जाएगी, वहीं कुछ समय बाद फिर आईएएस अफसर नियुक्त कर दिया जाता है.

दरअसल उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा सेवा नियमावली (प्रथम संशोधन) 1996 के मुताबिक महानिदेशक का पद राजकीय मेडिकल कॉलेजों के आयोग से चयनित प्रधानाचार्य से भरने का नियम है. संबंधित प्रधानाचार्यों के दस वर्ष के कार्यकाल का मूल्यांकन किया जाता है. चरित्र पंजिका में उत्कृष्ट नंबर हासिल करने वाले को इस पद के लिए योग्य माना जाता है.

Next Article

Exit mobile version