हाथरस घटना : मीडिया की पीड़िता के गांव में ‘नो एंट्री’ क्या छुपाना चाह रही पुलिस? एसआईटी जांच का दे रही हवाला

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस में कथित सामूहिक बलात्कार पीड़िता के परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए जानेवाले नेताओं और मीडियाकर्मियों पर कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए शुकवार को रोक लगा दी गयी है. यह रोक एसआईटी की जांच पूरी होने तक जारी रहेगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 2, 2020 5:56 PM

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस में कथित सामूहिक बलात्कार पीड़िता के परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए जानेवाले नेताओं और मीडियाकर्मियों पर कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए शुकवार को रोक लगा दी गयी है. यह रोक एसआईटी की जांच पूरी होने तक जारी रहेगी.

जानकारी के मुताबिक, हाथरस के एडिशनल एसपी प्रकाश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि ”गांव में मीडिया के प्रवेश पर प्रतिबंध तब तक रहेगा, जब तक एसआईटी वहां अपनी जांच पूरी नहीं कर लेती. साथ ही मौजूदा कानून और व्यवस्था की स्थिति के कारण, किसी भी राजनीतिक प्रतिनिधिमंडल या व्यक्तियों को गांव का दौरा करने की अनुमति नहीं दी जायेगी.

इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को शुक्रवार को उससमय रोक दिया गया, जब वे उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस में कथित सामूहिक बलात्कार पीड़िता के परिवार के सदस्यों से मिलने जा रहे थे. टीएमसी के सांसदों के प्रतिनिधि मंडल को पीड़िता के घर से करीब 1.5 किलोमीटर दूर ही रोक दिया गया.

मालूम हो कि एक दिन पहले गुरुवार को पीड़िता के परिजनों से मिलने के लिए जा रहे राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और पार्टी के करीब 150 कार्यकर्ताओं को निषेधाज्ञा के कथित उल्लंघन के आरोप में ग्रेटर नोएडा में ही कुछ देर के लिए हिरासत में लिया गया था.

क्या है मामला?

हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र स्थित एक गांव की रहनेवाली 19 वर्षीया दलित लड़की से 14 सितंबर को कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया था. लड़की को रीढ़ की हड्डी में चोट और जीभ कटने की वजह से पहले अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. उसके बाद उसे दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल लाया गया था, जहां उसकी मौत हो गयी थी.

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