भाजपा ने एमएलसी मनोनीत करने को राजभवन भेजे ये छह नाम, सीएम योगी ने लगाई मुहर, जानें किसकी चमकेगी किस्मत

उत्तर प्रदेश विधान परिषद में जिन नेताओं को भेजे जाने की बात कही जा रही है, वह अपने क्षेत्रों में लंबे समय से सक्रिय हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी व प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह की सहमति और केंद्र नेतृत्व की स्वीकृति के बाद इनका नाम तय किया गया है.

By Sanjay Singh | April 1, 2023 4:20 PM

UP MLC Elections 2023: उत्तर प्रदेश विधान परिषद में जल्द ही छह नए चेहरे देखने को मिलेंगे. सत्तारूढ़ दल भाजपा ने इनके नाम विधान परिषद सदस्य मनोनीत करने के लिए राज्यपाल के पास भेज दिए हैं. उच्च सदन पहुंचने के लिए कई चर्चित चेहरे कोशिश में जुटे थे. इसके लिए उन्होंने प्रदेश से लेकर केंद्रीय नेतृत्व की परिक्रमा भी की. वहीं ये इंतजार अब समाप्त हुआ है. विधान परिषद में मनोनीत कोटे की छह सीटों में लेखक, कवि, सांस्कृतिक कलाकार सहित अन्य क्षेत्र से लोगों को मनोनीत करने का प्रावधान है.परिषद में मनोनीत कोटे की छह सीटें 26 मई 2022 से खाली है.

योगी आदित्यनाथ सरकार के ओर से विधान परिषद के लिए जो नाम भेजे गए हैं. इसमें कई बड़े चेहरे हैं. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सहमति के बाद रजनीकांत माहेश्वरी (पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष, ब्रज भाजपा), साकेत मिश्रा (पूर्वांचल विकास बोर्ड के सदस्य, नृपेंद्र मिश्र के पुत्र), लालजी प्रसाद निर्मल (अंबेडकर महासभा), तारिक मंसुरी (वीसी एएमयू), रामसूरत राजभर (अधिवक्ता, आजमगढ़) और हंसराज विश्वकर्मा (भाजपा जिलाध्यक्ष, काशी) के नाम मनोनयन के लिए भेजे हैं.

इससे पहले काफी समय से विधान परिषद के उम्मीदवारों के नामों को लेकर चर्चाएं तेज थीं. इनमें प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास का नाम भी चर्चाओं में था. हालांकि कहा जा रहा है कि उन्होंने इससे इनकार कर दिया. आम आदमी पार्टी में रहते कुमार विश्वास उन्हें राज्य सभा नहीं भेजे जाने से भी अरविंद केजरीवाल से खफा थे. वहीं इसके बाद जब उनका नाम उत्तर प्रदेश विधान परिषद को लेकर सुर्खियों में आया तो तरह-तरह की अटकलें लगाई जाने लगी. हालांकि कुमार विश्वास की ओर से इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई.

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वहीं अब जिन नेताओं के नाम उच्च सदन में भेजे जाने की बात कही जा रही है, वह अपने क्षेत्रों में लंबे समय से सक्रिय हैं और इसके अलावा अन्य जिम्मेदारियों को भी संभालते आए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी व प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह की सहमति और केंद्र नेतृत्व की स्वीकृति के बाद इनका नाम तय किया गया है. इनके जरिए भविष्य के​ सियासी समीकरण साधने का भी प्रयास किया गया है.

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