अयोध्या: कल आज और कल, 2,000 साल पुरानी नगरी 6 दिसंबर से नहीं डरती, जानें इमाम-ए-हिंद की जन्मभूमि का मतलब

अयोध्या नगरी के धार्मिक गौरव का सदियों से बखान किया जा रहा है. अयोध्या ईश्वर की नगरी मानी गई है. इस धरती की तुलना स्वर्ग से की गई है. अयोध्याजी की पावन भूमि पर कदम रखते ही श्रीराम की अनुकंपा मिलती है.

By Prabhat Khabar | December 5, 2021 2:08 PM

Ayodhya News: प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या. गुजरे कल में बहुत कुछ देख और सह चुकी है. आज वक्त आगे बढ़ा है तो लोग भी आगे बढ़ चुके हैं. लेकिन, रह-रहकर छह दिसंबर की टीस मन में उठती रहती है. 6 दिसंबर को देखते हुए अयोध्या में हाई अलर्ट है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दोनों तरफ के लोगों ने उसे स्वीकार लिया. गड़बड़ी की आशंका के मद्देनजर अयोध्या में चाक-चौबंद सुरक्षा है.

अयोध्या नगरी के धार्मिक गौरव का सदियों से बखान किया जा रहा है. अयोध्या ईश्वर की नगरी मानी गई है. इस धरती की तुलना स्वर्ग से की गई है. अयोध्या जी की पावन भूमि पर कदम रखते ही श्रीराम की अनुकंपा मिलती है.

पुराणों में अयोध्या नगरी का सुंदर वर्णन किया गया है. धर्मग्रंथों में जिक्र है कि भगवान विश्वकर्मा ने अयोध्या को नगरी का रूप दिया. उन्हें अयोध्या जी को तीर्थस्थल बनाने का आदेश देकर भेजा गया था. स्कंद पुराण के अनुसार अयोध्या शब्द देवताओं से संबंधित है. अयोध्या में अ मतलब ब्रह्मा, य मतलब विष्षु और ध का मतलब रुद्र है. अयोध्या ने राम को नहीं, श्रीराम ने अयोध्या को जन्मस्थान के रूप में चुना.

अयोध्या ऐसी धरती रही है, जहां महाकवि वाल्मीकि की महापुरी है. कालिदास ने अयोध्याजी को साकेत कहकर संबोधित किया. अयोध्या का वर्णन चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी किया था. उन्होंने अयोध्या को पिकोसिया नाम दिया था. मशहूर शायर अल्लामा इकबाल ने प्रभु श्रीराम को इमाम-ए-हिंद और अयोध्या को इमाम-ए-हिंद की जन्म भूमि कहा था. अयोध्या नगरी दो हजार साल से ज्यादा पुरानी है. इतिहास में देखें तो अयोध्या से सूर्यवंशी और रघुवंशी राजा जुड़े रहे. मौर्य, गुप्त, मुगल काल में भी इसका वैभव विराट रहा. 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या नगरी घायल तो हुई, अपनी वैभवता को बचाए रही.

6 दिसंबर 1992 में कार सेवकों ने विवादित ढांचे को गिराया. तू ही माता, तू ही पिता है, तेरे चरणों में चारों धाम की सीख देने वाली अयोध्या को भरोसा नहीं हुआ. एक वक्त नवंबर 2019 में आया, जब सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाकर राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर विराम लगा दिया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राम जन्मभूमि परिसर को राम मंदिर के निर्माण के लिए दिया. मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या जिले में पांच एकड़ जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दी जा चुकी है.

आज अयोध्या विराट वैभव और गौरव के साथ सर्व-धर्म समभाव की सीख दे रही है. अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी को लेकर हाई अलर्ट भी है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ना तो बाबरी विध्वंस का मातम मनाया जाता है और ना ही कोई जश्न. इसके बावजूद अनहोनी की आशंका देखते हुए सुरक्षा कड़ी है. वहीं, सरयू के बहते पानी में आपसी खटास बह गई है. आज अयोध्या नगरी पर दुनियाभर की निगाहें हैं. लोगों को उम्मीद है कि श्रीराम की नगरी की वैभवता हमेशा बरकरार रहेगी.

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