बैंक डिफॉल्टर अरबपति कारोबारी विक्रम कोठारी को कितना जानते हैं आप?

कानपुर : चार बैंकों से 800 करोड़ रुपयेकीबैंक धोखाधड़ी करनेके आरोपी विक्रम कोठारीकेंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तननिदेशालय के शिकंजेमें हैं. केंद्रीय एजेंसियां उनसेलगातार पूछताछ कर रही है और कानपुर में उनकेदफ्तरऔर घर को सील कर दिया गया है. उनके खिलाफ बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर सीबीआइ ने केस दर्ज किया है और जांच की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 19, 2018 4:30 PM

कानपुर : चार बैंकों से 800 करोड़ रुपयेकीबैंक धोखाधड़ी करनेके आरोपी विक्रम कोठारीकेंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तननिदेशालय के शिकंजेमें हैं. केंद्रीय एजेंसियां उनसेलगातार पूछताछ कर रही है और कानपुर में उनकेदफ्तरऔर घर को सील कर दिया गया है. उनके खिलाफ बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर सीबीआइ ने केस दर्ज किया है और जांच की जा रही है.

कानपुर का रहने वाले विक्रम कोठारी पारंपरिक रूप से एक कारोबारी परिवार से रिश्ता रखते हैं.कानपुरपुराना व्यावसायिक शहर है और उनके पिता मनसुख कोठारी ने 1973 में पान पराग ब्रांड की शुरुआत की थी. विक्रमकोठारी ने 1980 के दशकमें कोठारी नाम से अपने स्टेशनरी बिजनेस की शुुरुआत की जो 1992 में एक ब्रांड बन गया. उनकेभाई दीपक कोठारीमशहूर वर्तमान में पान मसाला पान पराग के मालिक हैं. पहले इन दोनों का साझीदारी में पिता का कारोबारथा और 1990 के दशक में दोनों भाइयों के बीचकारोबार का बंटवारा हुआ. विक्रम कोठारा कोरोटोमेक का मालिकाना मिला और उसके भाई दीपककोठारी को पान मसाला काकारोबार मिला.

बैंक धोखाधड़ी मामले में विक्रम कोठारी का नाम ज्वेलरी कारोबारी नीरव मोदी व मेहुल चोकसी के बाद चर्चा में आया और जब मीडिया में यह अटकलें लगायी जाने लगी कि वह भी कहीं देश छोड़ कर तो नहीं भाग गये, तब उन्होंने सफाई दी और कहा वह यहीं हैं.

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रोटोमेक कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, विक्रम कोठारी रोटोमेक एक्सपोर्ट लिमिटेड, कोठारी फूड्स, क्राउन अल्बा राइटिंग इंस्ट्रूमेंट, मोहन स्टील लिमिटेड, आरएफएल इन्फ्रास्ट्रक्च प्राइवेट लिमिटेड रेव इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को हेड करते हैं. कोठारी का कानपुर, लखनऊ, देहरादून व अहमदाबाद में प्रोपर्टी का बड़ा कारोबार है. अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते उनके हाथों कोठारी को बेस्ट एक्सपोर्ट अवार्ड मिला था.

विक्रम कोठारी को विलपुल डिफॉल्टर पिछले साल फरवरी में बैंक ऑफ बड़ौदा ने घोषित किया था यानी वैसा शख्स जो जानबूझकर कर्ज नहीं चुका रहा है. उनका मामला इलहाबाद हाइकोर्ट भी पहुंचा था औरउन्होंने अपने पक्ष में कोर्ट का फैसला पाया था, लेकिन फिर वह अपना कर्ज चुकाने में विफल रहे. विक्रमकोठारी पर बैंक ऑफ बड़ौदा के अलावा इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक का कर्ज है. जो विक्रम कोठारी आज जांच एजेंसियों के शिकंजे में हैं, उन्हें सामाजिक कार्यों के लिए लायंस क्लब ने 1983 में गुडविल एंबेसेडर बनाया था.

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