ज्ञानवापी केस में आया नया मोड़, विश्व वैदिक सनातन संघ ने मस्जिद कमेटी के खिलाफ थाने में दर्ज कराई शिकायत

Gyanvapi masjid case: विश्व वैदिक सनातन संघ के जितेंद्र सिंह बिसेन ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के खिलाफ चौक थाने में उपासना स्थल अधिनियम 1991 की धारा-3 के उल्लंघन की शिकायत की है. उन्होंने अधिनियम की धारा-6 के तहत कार्रवाई की मांग की है.

By Prabhat Khabar | May 27, 2022 9:38 AM

Varanasi News: ज्ञानवापी प्रकरण (Gyanvapi masjid case) में जितेंद्र सिंह बिसेन ने गुरुवार की देर शाम अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के खिलाफ चौक थाने में उपासना स्थल अधिनियम 1991 की धारा-3 के उल्लंघन की शिकायत की है. उन्होंने अधिनियम की धारा-6 के तहत कार्रवाई की मांग की है. विश्व वैदिक सनातन संघ के बिसेन कार्रवाई के लिए डाक द्वारा पत्र थाना चौक और डीसीपी काशी को भेजा है.

विश्व वैदिक सनातन संघ ने की FIR की मांग

विश्व वैदिक सनातन संघ से अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की घेराबंदी करने में जुटा है. श्रृंगार गोरी मामले में अदालत में 6 याचिका देने के बाद अब चौक थाने में शिकायत पत्र भेज कर एफआईआर करने की मांग की गई है. जितेंद्र सिंह बिसेन ने 7 बिंदुओं पर शिकायत पत्र इंस्पेक्टर चौक के नाम भेजा है.

धारा-6 के तहत कार्रवाई की मांग

विश्व वैदिक सनातन संघ ने उपासना स्थल अधिनियम 1991 की धारा 3 का हवाला देते हुए कहा कि मंदिर हटाने के लिए मुगल बादशाहों ने उसे तोड़ने की कोशिश की. बाद में बचे हिस्से पर बनी पेंटिंग पर चुना कर मंदिर की पहचान को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है. यह मस्जिद अंजुमन इंतजामियां मसाजिद के प्रबंधन में है, लिहाजा इनके खिलाफ धारा-6 के तहत कार्रवाई की जाए.

‘देवी-देवताओं की पूजा का अधिकार’

विश्व वैदिक सनातन संघ ने कहा कि, ज्ञानवापी परिसर के प्लाट नंबर 9130 में लाखो वर्षो से आदि विशेश्वर का मंदिर है. मुगल आक्रांताओं ने काशी विश्वेश्वर मंदिर के ढांचे को ध्वस्त करने का प्रयास किया. मगर उनका प्रयास निर्थक साबित हुआ और मंदिर की सरचना बची रह गई. काशी विश्वनाथ एक्ट 1983 हिंदुओं को ज्ञानवापी परिसर में मौजूद भगवान आदि विशेश्वर विराजमान और उसके पांच कोस के क्षेत्र के मंदिरों के अन्य देवी-देवताओं की पूजा का अधिकार देता है.

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और उसके फॉलोअर्स द्वारा काशी विशेश्वर मंदिर के ढांचे को नुकसान पहुंचाने का कृत्य प्लेसेज ऑफ वर्शिप 1991 के साथ ही अन्य कानूनों के तहत दंडनीय है. इसलिए उचित कार्रवाई करते हुए मंदिर के ढांचे को नुकसान पहुंचाने से रोका जाए.

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रिपोर्ट- विपिन सिंह

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