दूध से पालतू जानवरों के लिए फूड बनानेवाला देश का पहला राज्य बना उत्तराखंड

बरेली : पालतू जानवरों के लिए 'पेट फूड' बनाने का कारोबार तो कई जगह हो रहा है, लेकिन दूध से पेट फूड बनानेवाला देश का पहला राज्य उत्तराखंड बन गया है. इससे दुग्ध उत्पादकों की भी आय बढ़ेगी. दूध से बननेवाला पेट फूड जिसे छुरपी कहा जाता है, एक ऐसा कठोर पदार्थ होता है, जिसे जानवरों को कभी भी खाने को दिया जा सकता है.

By संवाद न्यूज | November 26, 2020 8:51 PM

बरेली : पालतू जानवरों के लिए ‘पेट फूड’ बनाने का कारोबार तो कई जगह हो रहा है, लेकिन दूध से पेट फूड बनानेवाला देश का पहला राज्य उत्तराखंड बन गया है. इससे दुग्ध उत्पादकों की भी आय बढ़ेगी. दूध से बननेवाला पेट फूड जिसे छुरपी कहा जाता है, एक ऐसा कठोर पदार्थ होता है, जिसे जानवरों को कभी भी खाने को दिया जा सकता है.

लोग अपने घरों में कुत्ते, बिल्ली आदि पालते हैं. खानपान से लेकर इनकी सेहत तक का विशेष ख्याल रखा जाता है. इनके खाने की जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार में पेट फूड्स आ गये हैं. पेट फूड का मतलब पालतू जानवरों के खाने से होता है.

गाय, भैंस, कुत्ते, बिल्ली जैसे जानवरों के खाने के कई उत्पाद बाजार में बिक रहे हैं. इसके बावजूद अभी तक किसी ने भी दूध से पेट फूड नहीं बनाया है. ऐसा उत्तराखंड ने कर दिखाया है. उसने दूध से पेट फूड यानी छुरपी तैयार किया है.

दुग्ध विकास विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ जयदीप अरोड़ा बताते हैं कि छुरपी में 60 प्रतिशत प्रोटीन होता है. इसलिए यह जानवरों की सेहत के लिए काफी लाभदायक है. इसे बनाने की विधि भी आसान है. जिस तरीके से दूध से पनीर बनाया जाता है, उसी तरह से छुरपी तैयार की जाती है.

पनीर और छुरपी में अंतर बस इतना है कि पनीर में नमी रहती है, इसमें नमी की मात्रा को पूरी तरह से निकाल कर कठोर बना दिया जाता है. पनीर की तरह छोटे-छोटे टुकड़े कर इसे 25 से 30 दिन तक सुखाया जाता है.

ध्यान देनेवाली बात यह है कि इस छुरपी में एक प्रतिशत भी नमी नहीं रहनी चाहिए. अगर हल्की-सी भी नमी रह गयी, तो छुरपी खराब हो जायेगी. बाजार में छुरपी की कीमत 750 रुपये प्रति किलो तक है.

छुरपी सबसे पहले पड़ोसी देश नेपाल में बनना शुरू हुई थी. अब उत्तराखंड में दुग्ध विकास विभाग ने पहली बार सहकारी क्षेत्र में छुरपी का उत्पादन शुरू कर दिया है. उत्पादन के साथ ही इसकी बिक्री भी शुरू हो गयी है.

बेंगलुरु की एक कंपनी को इसे बेचा जा रहा है. छुरपी के बनने से दुग्ध उपादकों की लाभ होगा. डॉ अरोड़ा ने दावा किया है कि उत्तराखंड को छोड़ कर अभी तक देश के किसी भी राज्य में छुरपी का उत्पादन शुरू नहीं हुआ है.

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