Phoolan Devi की कहानी: जिसने पहले दर्द सहा, फिर बदला लेने के लिए उठा लिया हथियार

Phoolan Devi Inside Story : 1983 में फूलन ने कई शर्तों के साथ मध्य प्रदेश में आत्मसमर्पण किया था. 1993 में फूलन जेल से बाहर आईं. 1996 में फूलन देवी ने राजनीति में प्रवेश किया और वह सपा की टिकट पर भदोही से सांसद चुनीं गयीं.

By Prabhat Khabar | July 25, 2022 9:37 AM

Phoolan Devi Inside Story : आज यानि 25 जुलाई कोचंबल की रानी फूलन देवी की बरसी है. इस मौके पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट करके उन्हें श्रद्धाजंलि दी. फूलन देवी भारत में दस्यु सुंदरी के नाम से जानी जाती हैं. फूलन देवी के जीवन की शुरुआत होती है यूपी के जालौन से. 10 अगस्त 1963 को यूपी में जालौन के घूरा का पुरवा में फूलन का जन्म हुआ था. उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गांव में जन्मी फूलन देवी काफी गरीब परिवार से थीं.

सामाजिक भेदभाव और प्रताड़ना के कारण उसका झुकाव डाकूओं की ओर हो गया था. कहते हैं कि उसके साथ गांव के कुछ दबंग लोगों ने बलात्कार किया था, जिसका बदला लेने के लिए फूलन ने एक गिरोह बनाया. फूलन चर्चा में तब आयीं थीं जब 22 ठाकुरों की हत्या का आरोप उनके गिरोह पर लगा था. हालांकि फूलन ने हमेशा उस नरसंहार से इनकार किया. 1983 में इंदिरा गांधी के काल में फूलन देवी ने आत्मसर्मपण कर दिया था. उस वक्त उसके साथ उसके दस हजार से ज्यादा समर्थक थे. सरकार ने उसे यह आश्वासन दिया था कि उसे मृत्युदंड नहीं दिया जायेगा. 1994 में उत्तर प्रदेश की मुलायम सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया था.

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1983 में सरेंडर, बनीं सांसद, फिर हत्या

1983 में फूलन ने कई शर्तों के साथ मध्य प्रदेश में आत्मसमर्पण किया था. 1993 में फूलन जेल से बाहर आईं. 1996 में फूलन देवी ने राजनीति में प्रवेश किया और वह सपा की टिकट पर भदोही से सांसद चुनीं गयीं. दलित समुदाय उनका समर्थक था. वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर मिर्जापुर लोकसभा सीट से दो बार सांसद भी बनीं. 2001 में शेर सिंह राणा ने फूलन देवी की दिल्ली में उनके घर के पास हत्या कर दी थी. 2011 में स्पेशल जज (डकैत प्रभावित क्षेत्र) में राम सिंह, भीखा, पोसा, विश्वनाथ उर्फ पुतानी और श्यामबाबू के खिलाफ आरोप तय होने के बाद ट्रायल शुरू हुआ.राम सिंह की जेल में मौत हो गई. फिलहाल पोसा ही जेल में है.

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