Pitru Paksha: आज से पितृपक्ष शुरू, सुहागिनों को सौभाग्यवती बनाता है मातृ नवमी का श्राद्ध, जानें महत्व

Pitru Paksha Shradh 2022: आज से पितृपक्ष शुरू हो रहे हैं. इन 16 श्राद्धों में से एक श्राद्ध ऐसा भी है, जिसका हर सुहागिन महिला को इंतजार रहता है. आइए जानते हैं क्या है इसका महत्व...

By Prabhat Khabar | September 10, 2022 7:49 AM

Aligarh News: आज से श्राद्ध पक्ष यानी पितृ पक्ष (Pitru Paksha Shradh 2022) शुरू हो गए हैं. 16 श्राद्धों में एक श्राद्ध का हर सुहागिन महिला को इंतजार रहता है, वह है नवमी का श्राद्ध, जिसे मातृ नवमी श्राद्ध भी कहते हैं. मातृ नवमी का श्राद्ध इस बार 19 सितंबर को पड़ रहा है. आइए जानते हैं क्या है इसका विशेष महत्व…

मातृ नवमी श्राद्ध का है विशेष महत्व

सुहागिन महिलाएं साल भर में एक बार अपने पति की लम्बी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं. करवाचौथ के बाद श्राद्ध पक्ष में भी नवमी का श्राद्ध यानी मातृ नवमी श्राद्ध सुहागिनों के लिए महत्वपूर्ण होता है. जिसे सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है.

सौभाग्यवती श्राद्ध का महत्व

अलीगढ़ के ज्योतिषाचार्य पंडित ह्रदय रंजन शर्मा ने प्रभात खबर को बताया कि मातृ नवमी का श्राद्ध 19 सितंबर 2022, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को किया जाएगा. इस दिन मुख्य रूप से परिवार के सदस्य अपनी माता और परिवार की ऐसी महिलाओं का श्राद्ध करते हैं, जिनकी मृत्यु एक सुहागिन के रूप में होती है. यही कारण है कि इस दिन पड़ने वाले श्राद्ध को मातृ नवमी श्राद्ध कहते हैं.

इस दिन दिवंगत आत्माओं के लिए श्राद्ध क्रिया करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है, और उनका आशीर्वाद परिवार पर हमेशा बना रहता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन परिवार की बहु-बेटियों को व्रत रखना चाहिए. इस दिन व्रत रखने से विशेष रूप से महिलाओं को सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद मिलता है. सुहागिन महिलाओं के पतियों की उम्र लंबी होती है. इसलिए इस दिन किये जाने वाले श्राद्ध को सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहते हैं.

सौभाग्यवती श्राद्ध ऐसे करें

  • इस दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व सभी नित्य क्रियाओं से निवृत होने के बाद घर के दक्षिण दिशा में एक हरे रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर सभी दिवंगत पितरों की फोटो रखें. अगर फोटो ना हो, तो उसकी जगह एक साबूत सुपारी रख दें.

  • अब श्रद्धा पूर्वक सभी पितरों के नाम से एक दीये में तिल का तेल डालकर, उसे जलाएं.

  • इसके बाद सुगंधित धूप या अगरबत्ती जलाकर सबकी फोटो के सामने रखें और एक तांबे के लोटे में जल डालकर उसमें काला तिल मिलाकर पितरों का तर्पण करें.

  • दिवंगत पितरों की फोटो पर तुलसी के पत्ते अर्पित करें और आटे से एक बड़ा दीया जलाकर उसे सबकी की फोटो के आगे रखें.

  • अब व्रती महिलाएं कुश के आसन पर बैठकर भगवत गीते के नौवें अध्याय का पाठ करें.

  • श्राद्धकर्म पूरा होने के बाद ब्राह्मणों को लौकी की खीर, मूंगदाल, पालक सब्जी और पूरी आदि का भोजन कराएं.

  • ब्राह्मण भोजन के बाद यथाशक्ति अनुसार उन्हें दक्षिणा देकर विदा करें.

रिपोर्ट- चमन शर्मा

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