Good News: लखनऊ और गाजियाबाद की तरह गोरखपुर में भी कैशलेस हुआ रोडवेज बसों का सफर
गोरखपुर परिवहन विभाग ने कैशलेस सुविधा की शुरुआत कर दी है. परिवहन विभाग ने गोरखपुर डिपो और राप्तीनगर डिपो के कंडक्टर को ई-टिकट मशीन दी है. इसके माध्यम से यात्री कैशलेस सुविधा ले पाएंगे.
Gorakhpur Roadway: गोरखपुर में परिवहन निगम ने गोरखपुर और राप्तीनगर डिपो के कंडक्टर को ई-टिकटिंग मशीन दी है. इन मशीनों के माध्यम से बैंकों के स्मार्टकार्ड हो या फिर क्रेडिट और डेबिट कार्ड के अलावा गूगल पर फोन पे, भीम फोन आदि से यात्री बस का टिकट लेकर यात्रा कर सकते हैं. इसके लिए परिवहन निगम को 755 टच स्क्रीन ई-टिकटिंग मशीन मिली है. रोडवेज की बसों में डेली सफर करने वाले लगभग 20 हजार पैसेंजर कैशलेस सुविधा ले रहे हैं.
गोरखपुर परिवहन विभाग ने कैशलेस सुविधा की शुरुआत कर दी है. परिवहन विभाग ने गोरखपुर डिपो और राप्तीनगर डिपो के कंडक्टर को ई-टिकट मशीन दी है. इसके माध्यम से यात्री कैशलेस सुविधा ले पाएंगे. इस व्यवस्था के शुरू होने से यात्रियों को काफी सहूलियत मिलेगी उन्हें टिकट के लिए कैश नहीं देने पड़ेंगे. गोरखपुर में भी लखनऊ और गाजियाबाद की तरह यह सुविधाएं शुरू हो चुकी है. इसके लिए परिवहन विभाग ने 755 टच स्क्रीन ई-टिकट मशीन दे चुकी है.
निगरानी के लिए दो एक्सपर्टगोरखपुर डिपो के एआरएम महेंद्र चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि एंड्रॉयड टिकटिंग मशीन का ट्रायल पूरा होने के बाद परिवहन निगम के गोरखपुर और राप्तीनगर डिपो के सभी कंडक्टर्स को मशीन मुहैया करा दिया गया है. अब यात्रियों को कैशलेस की सुविधा मिलने लगी है. उन्होंने बताया कि इसकी निगरानी के लिए दो एक्सपर्ट भी मौजूद हैं. यदि किसी प्रकार की समस्या आ रही है तो उसे तत्काल ठीक कर दिया जा रहा है.
पुरानी मशीन से आ रही दिक्कतइस मशीन की खासियत यह है कि यह मशीन मोबाइल तकनीक से भी तेज है. पिछली मशीन के हाईटेक न होने के कारण कई बार यात्रियों को कार्ड की बजाय कैश पेमेंट करना पड़ता था. इस मशीन के हाईटेक तकनीकी से लैस होने की वजह से यह मशीन कार्ड के संपर्क में आते ही उसे रीड करेगी और बस का कंडक्टर आसानी से यात्रियों से पेमेंट ले सकेगा. इस नई तकनीकी मशीन के आ जाने से कैश टिकट कराने की झंझट से अब यात्रियों को छुटकारा मिलेगा. इस व्यवस्था से यात्रियों को काफी सहूलियत मिलेगी. जहां पहले पुरानी ई-टिकटिंग मशीनों के खराब होने से पैसेंजर्स को कैश पेमेंट करना पड़ता था.
रिपोर्ट : कुमार प्रदीप
