यूपी में सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ ने शुरू किया दस्‍तक अभ‍ियान, इंसेफेलाइटिस रोग को मिटाने के लिए होगी कोश‍िश

सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ ने कहा कि बीमारी से बचाव के लिए प्रयास करें लेकिन अगर हो भी जाए तो तुरंत इलाज शुरू कर दें. झोलाछाप डॉक्टरों के पास न जाएं, सरकारी अस्पतालों में जाएं. दिमागी बुखार अभी भी 5 प्रतिशत बच्चों को प्रभावित करता है. बीमारियों को रोकने और ठीक करने के लिए 'दस्तक अभियान' शुरू किया.

By Prabhat Khabar | July 1, 2022 1:38 PM

Gorakhpur News: यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ दो दिवसीय दौर पर गोरखपुर पहुंचे हुए हैं. शुक्रवार को उन्‍होंने जनता दरबार में आमजन की दिक्‍कतों को सुनने के बाद बीआरडी मेड‍िकल कॉलेज के सभागार में दस्‍तक अभ‍ियान (Dastak Abhiyan) की शुरुआत की. इस अभ‍ियान के माध्‍यम से यूपी में संचारी रोग को हराने की कोशिश की जा रही है. संचारी रोग के खिलाफ प्रदेश में 16 से 31 जुलाई तक अभ‍ियान चलाया जाएगा.

भारत को भी इससे जल्द छुटकारा मिलेगा

इस अवसर पर सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ ने कहा कि बीमारी से बचाव के लिए प्रयास करें लेकिन अगर हो भी जाए तो तुरंत इलाज शुरू कर दें. झोलाछाप डॉक्टरों के पास न जाएं, सरकारी अस्पतालों में जाएं. दिमागी बुखार अभी भी 5 प्रतिशत बच्चों को प्रभावित करता है. बीमारियों को रोकने और ठीक करने के लिए ‘दस्तक अभियान’ शुरू किया. राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न रोग प्रचलित हैं. तपेदिक, मलेरिया जैसी कई बीमारियों को ठीक करने के लिए राज्य और केंद्र ने कई कदम उठाए हैं. अगर यूपी खुद को तपेदिक से मुक्त करता है, तो भारत को भी इससे जल्द छुटकारा मिलेगा.


इंसेफलाइटिस ने 1978 में दी थी दस्‍तक

दरअसल, पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस पर साल 2017 के बाद से कमी आने का दावा किया जाता है. कभी यह बीमारी पूर्वांचल के मासूमों के लिए मौत का दूसरा नाम थी. 2021 और 2022 में गोरखपुर जनपद में अब तक जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) से एक भी मौत नहीं हुई है. यही नहीं इस साल सामने आए एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के 27 मरीजों भी सुरक्षित बताये जा रहे हैं. इंसेफेलाइटिस को काबू करने में संचारी रोग नियंत्रण अभियान और दस्तक अभियान के परिणाम बेहद सकारात्मक साबित हुए हैं. इंसेफलाइटिस बीमारी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में 1978 में पहली बार दस्तक दी थी. इस विषाणु जनित बीमारी की चपेट में आकर 2017 तक 50 हजार से अधिक बच्चे असमय काल के गाल में समा चुके थे. करीब इतने ही जीवन भर के लिए शारीरिक व मानसिक विकलांगता के शिकार हो गए. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच साल में काफी गिरावट आई है.

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में यह है व्यवस्था

अकेले गोरखपुर जनपद की बात करें तो इंसेफेलाइटिस रोगियों के इलाज के लिए यहां19 इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर (ईटीसी), तीन मिनी पीआईसीयू, एक पीआईसीयू (पीकू) में कुल 92 बेड तथा बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 313 बेड रिजर्व हैं. इसके अलावा पीकू व मिनी पीकू में 26 तथा मेडिकल कॉलेज में 77 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं.

आंकड़े कर रहे तस्दीक

  • वर्ष 2016 व 2017 में जहां गोरखपुर जिले में एईएस के क्रमशः 701 व 874 मरीज थे और उनमें से 139 व 121 की मौत हो गई थी.

  • 2021 में मरीजों की संख्या 251 व मृतकों की संख्या सिर्फ 15 रह गई.

  • जापानी इंसेफेलाइटिस के मामले में

  • जहां 2016 व 2017 में क्रमशः 36 व 49 मरीज मिले थे और उनमें से 9 व 10 की मौत हो गई थी.

  • 2021 में जेई के 14 व चालू वर्ष में सिर्फ पांच मरीज मिले और मौत किसी की भी नहीं हुई.

रिपोर्ट : कुमार प्रदीप

Next Article

Exit mobile version