Kanpur News: कानपुर में युवक को बंधक बनाकर आंख फोड़ी, हाथ-पैर तोड़े, मंगवाई भीख, एफआईआर दर्ज

नौकरी के नाम पर साथ ले जाकर युवक को बंधक बनाया गया और फिर उसके हाथ-पैर तोड़ दिए. आंखों में केमिकल डालकर उसे अंधा कर दिया गया. पीड़ित परिवार की तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है.

By Prabhat Khabar | November 4, 2022 12:49 PM

Kanpur News: कानपुर के नौबस्ता थाना अंर्तगत मछरिया में एक युवक को नौकरी का झांसा देकर भीख मंगवाने के लिए तरह-तरह की यातनाएं दी गईं. नौकरी के नाम पर साथ ले जाकर युवक को बंधक बनाया गया और फिर उसके हाथ-पैर तोड़ दिए. आंखों में केमिकल डालकर उसे अंधा कर दिया गया. पीड़ित परिवार की तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है.

क्या है पूरा मामला

मूलरूप से बिहार के सीवान के रहने वाले रमेश मांझी अपने छोटे भाई सुरेश के साथ में नौबस्ता थाना क्षेत्र के मछरिया नालारोड स्थित झुग्गी में रहते हैं.रमेश के मुताबिक करीब छह महीने पहले मछरिया में रहने वाला विजय नाम का युवक नौकरी दिलाने के नाम से उसके भाई सुरेश को अपने साथ ले गया. इसके बाद उसने सुरेश के दोनों हाथ-पैर तोड़ दिए और 12 दिनों तक अपने घर में कैद रखा. उसकी दोनों आंखें केमिकल डालकर फोड़ दीं और चापड़ से दांत भी तोड़ दिए. विजय ने बाद में सुरेश को झकरकटी पुल के नीचे बस्ती में किसी औरत के हवाले कर दिया. वहां पर उसे जहरीले इंजेक्शन लगाए गए. इसके बाद विजय ने सुरेश को दिल्ली में राज नाम के व्यक्ति को 70 हजार रुपये में बेच दिया. वहां पर सुरेश से भीख मंगवाई गई.

बीमार होने पर कानपुर वापस छोड़ा

दिल्ली में जब सुरेश को नशीले इंजेक्शन दिये गए तो वह बीमार हो गया, तब तीन माह पहले विजय उसे साथियों के साथ कानपुर वापस ले आया. तब से वह सुरेश से कानपुर के अफीम कोठी घंटाघर के क्षेत्र में भीख मंगवा रहा है. हालत बिगड़ने पर उसे विजय ने किदवई नगर मंडी के पास छोड़ दिया. तीन दिन बाद इलाके के रहने वाले किसी व्यक्ति की नजर सुरेश पर पड़ी तो उसने उसके घर पर खबर दी. परिजनों ने क्षेत्रीय पार्षद को पूरी बात बताई, तो उन्होंने पुलिस पर हीलाहवाली का आरोप लगा थाने का घेराव कर दिया. एसीपी गोविंदनगर ने तहरीर लेकर युवक को मेडिकल के लिए भेजा है. मामले की जांच की जा रही है.

तीन महीने कानपुर में होने की नहीं थी खबर

सुरेश का कहना है कि वह तीन महीने से कानपुर में था, इसके बारे में उसे नहीं पता था. विजय उसको रोज चौराहों पर खड़ा कर देता था और शाम को भीख में इकठ्ठा रकम लेकर चला जाता था. यही नहीं उसे खाना भी नहीं देता था. कुछ दिन पहले ऑटो वाले के मुंह से उसने किदवई नगर सुना, तब उसे पता चला कि वह कानपुर में है.

रिपोर्ट- आयुष तिवारी

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