Jharsuguda News: वेदांता की शुभलक्ष्मी उद्योगिनी परियोजना से ग्रामीण महिलाएं बनीं सशक्त

Jharsuguda News: वेदांता की वेदसूता और वेदमूर्तिका पहलों ने हथकरघा और टेराकोटा कला को पुनर्जीवित किया है. इससे महिलाएं सशक्त हो रही हैं.

By BIPIN KUMAR YADAV | August 25, 2025 11:46 PM

Jharsuguda News: पश्चिमी ओडिशा के हृदय में वेदांता एल्युमीनियम की झारसुगुड़ा इकाई पारंपरिक शिल्पों में नयी जान फूंक रही है. ओडिशा के सबसे बड़े स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में से एक परियोजना शुभलक्ष्मी उद्योगिनी के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बना रही है. अपनी पहलों, वेदसूता और वेदमूर्तिका के माध्यम से यह परियोजना संबलपुरी हथकरघा और टेराकोटा कला की समृद्ध विरासत को पुनर्जीवित कर रही है. साथ ही महिला कारीगरों के लिए स्थायी आजीविका को बढ़ावा दे रही है.

25 महिलाओं को उन्नत बुनाई तकनीकों में किया जा रहा प्रशिक्षित

रघुनाथपाली गांव में वेदसूता हथकरघों की लयबद्ध गूंज को पुनर्जीवित कर रही है, जिसमें 25 महिलाओं को उन्नत बुनाई तकनीकों में प्रशिक्षित किया जा रहा है. जिसमें धागा बांधना और प्राकृतिक रंगाई शामिल है. हथकरघा सेट से सुसज्जित ये महिलाएं अपनी जीवंत संबलपुरी डिजाइनों के लिए स्थिर आय अर्जित कर रही हैं और बाजार तक पहुंच प्राप्त कर रही हैं. एक बुनकर सस्मिता मेहर ने कहा कि वेदसूता ने मुझे नये कौशल सिखाये हैं और मेरे शिल्प के माध्यम से अपने परिवार का समर्थन करने में मुझे गर्व महसूस कराया है. इसी तरह वेदमूर्तिका नाक्सापली और रेंगालबेड़ा गांवों में टेराकोटा शिल्प कौशल को पुनर्जीवित कर रही है. 30 से अधिक महिलाओं ने उत्पादक समूह बनाये हैं, जो सटीक मोल्डिंग और जटिल नक्काशी जैसी आधुनिक तकनीकों में महारत हासिल कर रही हैं. मूल्य निर्धारण और विपणन में प्रशिक्षण ने संतोषिनी राणा जैसी कारीगरों को प्रदर्शनियों और शहरी बाजारों में अपनी कृतियों को बेचने में सक्षम बनाया है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है और उनके परिवारों की शिक्षा में सहायता मिली है.

महिलाओं का भविष्य बनाया जा रहा उज्ज्वल

वेदांता एल्युमीनियम, झारसुगुड़ा के सीइओ सी चंद्रू ने कहा कि ये पहल ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाती हैं, साथ ही सुरक्षित आजीविका का निर्माण करती हैं. परंपरा को आर्थिक अवसर के साथ मिलाकर वेदांता समावेशी विकास को बढ़ावा दे रहा है, जिससे महिलाओं को न केवल शिल्प बुनने और गढ़ने में सक्षम बनाया जा रहा है, बल्कि उनके समुदायों के लिए उज्ज्वल भविष्य भी बनाया जा रहा है.

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