Rourkela News: सात माह में 875 वाहनों को मालिकों ने किया ऑफ रोड
Rourkela News: सुंदरगढ़ जिले में खनिज परिवहन में मंदी छाने की बात कहते हुए मालिकों ने अपने वाहन ऑफ रोड कर दिये हैं. नये वाहनों का पंजीकरण भी कम हो गया है.
Rourkela News: खनिज संपदा से भरपूर सुंदरगढ़ जिले में खनिज परिवहन में मंदी छाई हुई है. इसका सीधा असर भारी वाहनों के मालिकों पर पड़ा है. वाहन मालिक इएमआइ चुकाने में असमर्थ हैं. स्थायी खर्च कम करने के लिए वे अपने वाहनों को ऑफ रोड (पार्किंग में खड़ा) करने को ज्यादा महत्व दे रहे हैं.
आरटीओ के लिए राजस्व लक्ष्य हासिल करना चुनौती
पिछले सात महीनों में 875 वाहनों ने ऑफ-रोडिंग के लिए आवेदन किया है. इतना ही नहीं, नये वाहनों के पंजीकरण की संख्या में भी अप्रत्याशित कमी आयी है. नतीजतन क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में राजस्व लक्ष्य हासिल करना चुनौती बन गया है. जानकारी के अनुसार सुंदरगढ़ जिले के कोइड़ा और हेमगिर खनन गलियारों ने केंद्र व राज्य का राजकोष बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. यहां से बड़ी मात्रा में मैंगनीज, लौह अयस्क और कोयला निकाला जाता है. खनिजों के परिवहन में लगे हजारों भारी वाहन कई परिवारों की आजीविका का साधन हैं. लेकिन पिछले कुछ महीनों से खनिज परिवहन में मंदी आयी है. इसकी मुख्य वजह रेल द्वारा खनिज परिवहन, बरसात के दिनों में खनिज निकासी में कमी और खदानों में बाहरी वाहनों की तैनाती बतायी जा रही है. इस वजह से जिले के स्थानीय वाहन मालिकों का खनिज परिवहन प्रभावित हो रहा है.
जुलाई में 196 मालिकों ने वाहन ऑफ रोड करवाने का किया आवेदन
पहले राउरकेला क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में हर महीने 50 से 70 भारी वाहनों का पंजीकरण होता था. अब पंजीकरण कम हो गये हैं. उल्टे ऑफ-रोडिंग के लिए आवेदनों की संख्या हर महीने बढ़ रही है. जनवरी, 2025 में 166, फरवरी में 21, मार्च में 19, अप्रैल में 236, मई में 40, जून में 17 और जुलाई में 196 भारी वाहन मालिकों ने अपने वाहनों को ऑफ रोड करवाने के लिए आवेदन किया है. इसका मतलब है कि पिछले सात महीनों में 875 भारी वाहनों काे ऑफ रोड किया गया है. इस दौरान केवल 747 भारी वाहनों का पंजीकरण हुआ है. वाहन मालिकों के अनुसार, खनिज की ढुलाई में मंदी आ गयी है. इएमआइ चुकाना भी मुश्किल हो रहा है. टैक्स का बोझ कम करने के लिए हमें अपने वाहनों को ऑफ रोड करने पर मजबूर होना पड़ रहा है. ओडिशा में रोड टैक्स पड़ोसी राज्य झारखंड से ज्यादा है. जिससे मुनाफा के लिए ओडिशा के वाहनों का झारखंड में रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है.टैक्स बचाने के लिए दूसरे राज्यों में वाहनों का पंजीकरण करा रहे मालिक
राउरकेला के आंचलिक परिवहन अधिकारी वैभव सामंतसिंहराय ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों के सभी परिवहन कार्यालयों में स्थिति एक जैसी है. टैक्स बचाने के लिए ज्यादा वाहनों वाले मालिक उन्हें झारखंड में पंजीकृत कराना पसंद कर रहे हैं. इसी तरह परिवहन क्षेत्र में मंदी के कारण ऑफ रोड के लिए भी आवेदन आ रहे हैं. अगर यही स्थिति रही तो राजस्व संग्रह प्रभावित होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
