Rourkela News: राष्ट्रीय उद्योगों का आधुनिकीकरण होना चाहिए, लेकिन निजीकरण नहीं : तपन सेन
Rourkela News: एसडब्ल्यूएफआइ का 10वां राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न हो गया. प्रेसवार्ता में श्रमिक नेताओं ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा.
Rourkela News: राउरकेला के भंज भवन परिसर में स्टील वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसडब्ल्यूएफआइ) का 10वां राष्ट्रीय सम्मेलन रविवार को संपन्न हुआ. इस अवसर पर आयोजित प्रेसवार्ता में कामरेड तपन सेन ने केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की. उन्होंने कहा कि वे केंद्र सरकार के राष्ट्र विरोधी निजीकरण राजनीतिक एजेंडे का विरोध कर रहे हैं, जिसमें इस्पात संयंत्रों के निजीकरण की साजिश भी शामिल है.
खनिज लोहा और इस्पात उत्पादन की जीवन रेखा
वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष तपन सेन ने कहा कि खनिज लोहा और इस्पात उत्पादन की जीवन रेखा है. इसके बिना कोई भी संयंत्र काम नहीं कर सकता. सेल बरसुआं, टेनसा, काल्टा खनन क्षेत्रों के कारण विशेष रूप से सुंदरगढ़ जिले में लोहा और इस्पात संयंत्र चल रहे हैं. लेकिन वहां के लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. खासकर श्रमिक इन सुविधाओं से वंचित हैं. यह सरकार केवल उद्योगपतियों के इशारे पर काम कर रही है. वे सेल संयंत्रों के आधुनिकीकरण का विरोध नहीं कर रहे हैं. आधुनिकीकरण होना चाहिए, लेकिन निजीकरण नहीं होना चाहिए. सीटू हमेशा निजीकरण का विरोध करेगा, जिसका एक प्रमुख उदाहरण विजाग स्टील प्लांट है. इस प्लांट को बंद करने की साजिश रची जा रही है. श्रमिकों को बुनियादी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं. निजीकरण के जरिये ही खदानों को चलाने की कोशिश की जा रही है. श्रमिकों को बुनियादी सुविधाएं देने के लिए प्लांट को बंद करने की साजिश रची जा रही है. इसके लिए एक एमओयू किया गया है, जिस पर सीटू ने हस्ताक्षर नहीं किये हैं.
श्रमिकों को मिलें बुनियादी सुविधाएं
उन्होंने कहा कि ठेका श्रमिकों को भी नियमित नहीं किया जा रहा है. 39 महीने के एरियर और अन्य भत्तों के साथ काम के लिए मजदूरी बढ़ाई जानी चाहिए. श्रमिकों को सभी प्रकार की बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए, जो नहीं हो रहा है. स्टील प्लांट में ठेकेदार के बदलने के कारण श्रमिकों का तबादला भी किया जा रहा है, जो नहीं होना चाहिए. मौके पर वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव ललित मिश्रा, सीटू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विष्णु मोहंती के साथ आदित्य राम, बीडी प्रसाद, विश्वरूप बनर्जी, सुरेश कुमार, नियोजित बनर्जी, प्रसनजीत मंडल, बसंत नायक, प्रमोद सामल, राजकिशोर प्रधान मंचासीन थे.
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