उल्कापिंड गिरने से 50 हजार साल पहले बनी थी ये झील, रातोंरात गुलाबी हो गया पानी, आम के साथ विशेषज्ञ भी हैरान

Maharashtra Lonar Lake: प्रकृति के रहस्यों को आज तक कोई समझ नहीं पाया है. कई बार कुछ ऐसा होता जिनपर यकीन करना मुश्किल हो जाता है. ऐसा ही कुछ हुआ है महाराष्ट्र के बुलढाना स्थित विश्व प्रसिद्ध लोनार झील के साथ. करीब 50 हजार साल पुरानी इस झील के पानी का रंग रातोंरात बदलकर गुलाबी हो गया है. इस बदलाव को देखकर आम लोग से लेकर वैज्ञानिक तक हैरान हैं.

By Prabhat Khabar Print Desk | June 12, 2020 9:20 AM

Lonar Lake turned Pink: प्रकृति के रहस्यों को आज तक कोई समझ नहीं पाया है. कई बार कुछ ऐसा होता जिनपर यकीन करना मुश्किल हो जाता है. ऐसा ही कुछ हुआ है महाराष्ट्र के बुलढाना स्थित विश्व प्रसिद्ध लोनार झील के साथ. करीब 50 हजार साल पुरानी इस झील के पानी का रंग रातोंरात बदलकर गुलाबी हो गया है. इस बदलाव को देखकर आम लोग से लेकर वैज्ञानिक तक हैरान हैं.

हालांकि लोनार झील के पानी का रंग बदलने की वजह विशेषज्ञ झील में मौजूद लवणता और जलाशय शैवाल को मान रहे हैं. बताया जाता है कि लोनार झील का निर्माण करीब 50 हजार साल पहले एक उल्कापिंड के धरती पर गिरने की वजह से हुआ था. ये झील महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से करीब 500 किलोमीटर दूर बुलढाणा जिले में स्थित है. इसे पर्यटक बहुत पसंद करते हैं.

दुनियाभर के वैज्ञानिकों की भी इस झील में बहुत दिलचस्पी रखते हैं. टाइम्स नाऊ के मुताबिक, करीब 1.2 किमी के व्यास वाली झील के पानी की रंगत बदलने से स्थानीय लोगों के साथ-साथ प्राकृतिविद और वैज्ञानिक भी हैरान हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब झील के पानी का रंग बदला है लेकिन इस बार यह एकदम साफ नजर आ रहा है.

लोनार झील संरक्षण एवं विकास समिति के सदस्य गजानन खराट का कहना है कि यह झील अधिसूचित राष्ट्रीय भौगोलिक धरोहर स्मारक है. इसका पानी खारा है और इसका पीएच स्तर 10.5 है. उनका कहना है कि जलाशय में शैवाल हैं. पानी के रंग बदलने की वजह लवणता और शैवाल हो सकते हैं. खराट का कहना है कि पानी की सतह से एक मीटर नीचे ऑक्सीजन नहीं है. ईरान की एक झील का पानी भी लवणता के कारण लाल रंग का हो गया था. उनके मुताबिक, लोनार झील का जल स्तर अभी कम है क्योंकि बारिश नहीं होने से इसमें ताजा पानी नहीं भरा है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि लोनार झील में हैलोबैक्टीरिया और ड्यूनोनिला सलीना नाम के कवक (फंगस) की वजह से पानी का रंग लाल हुआ है. निसर्ग तूफान की वजह से बारिश हुई जिस कारण हैलोबैक्टीरिया और ड्यूनोनिला सलीना कवक झील की तलहट में बैठ गए और पानी का रंग लाल हो गया. हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना यह भी है कि लोनार झील का पानी लाल होने के पीछे और भी कई कारण हो सकते हैं. जिसकी जांच होना अभी बाकी है.

अफवाहों ने पकड़ा जोर 

लोनार झील के पानी का रंग लाल होने के बाद आसपास के इलाकों से बड़ी तादाद में लोग झील देखने के लिए आ रहे हैं. कुछ लोग तो इसे चमत्कार मान रहे हैं तो वहीं कई अफवाहों ने जोर पकड़ लिया है. आज तक टीवी रिपोर्ट के मुताबिक, यहां के ग्रामीण भी बताते हैं. वो कहते हैं कि 2006 में यह झील सूख गयी थी. उस वक्त गांव वालों ने पानी की जगह झील में नमक देखा था साथ ही अन्य खनिजों के छोटे-बड़े चमकते हुए टुकड़े देखे. लेकिन कुछ ही समय बाद यहां बारिश हुई और झील फिर से भर गयी.

Posted By: Utpal kant

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