बुद्धि से व्यापार और हृदय से परमात्मा को याद करें : आचार्य डॉ पद्मराज

बुद्धि से व्यापार और हृदय से परमात्मा को याद करें : आचार्य डॉ पद्मराज

By Prabhat Khabar News Desk | August 22, 2025 11:08 PM

सिमडेगा. जैन भवन में पर्यूषण महापर्व के उपलक्ष्य में आयोजित प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए वाणी भूषण आचार्य डॉ पद्मराज स्वामी जी महाराज ने कहा कि आपके पास दो वस्तुएं अनमोल हैं. एक आपका हृदय है और दूसरा आपका मस्तिष्क अर्थात बुद्धि. जब भी व्यापार करना हो, तब बुद्धि का खूब उपयोग करें. बुद्धि पूर्वक व्यापार करने से आप सफल व्यापारी बनेंगे. किंतु जब बात घर व रिश्तों की आ जाये, तब धर्म, सत्संग या परमात्मा की आ जाये तब बुद्धि का बटन ऑफ करके हृदय का बटन ऑन करें. परमात्मा व हमारे संबंध हमेशा हृदय द्वारा संचालित होने चाहिए. प्रभु नाम का सुमिरन भले ही कम समय के लिए करें. किंतु हृदय पूर्वक करें. एक अध्ययन का मजेदार निष्कर्ष है कि जो लोग दिल से प्रभु के साथ प्रेम करते हैं उन्हें दिल का दौरा कम पड़ता है. आचार्य जी ने आगे बताया कि हमारे सामने दो स्थितियां हैं. हमारा प्रथम कर्तव्य है कि अपने मन को सदा सकारात्मक रखें. ऐसा कोई कर्म न करें जिससे हमारा स्वास्थ्य खराब हो जाये. आचार्य जी ने कहा जीवन में कुछ भी शाश्वत नहीं है. चाहे जैसा व्यक्ति हो या वस्तु हो उन्हें बदलना ही पड़ता है. परिवर्तन को स्वीकार करने से हम दुखी होने से बच जाते हैं. अगर इसे स्वीकार नहीं करते, तो सुख के साधन पर्याप्त मात्रा में होने पर भी हम सुखी नहीं हो पाते. आज के अखंड पाठ व प्रसाद वितरण का लाभ उषारानी प्रेमचंद जी विमल जैन परिवार को प्राप्त हुआ. कलश यात्रा भी जैन साहब के निवास स्थल से शुरू होकर श्याम पथ होते हुए जयकारों और मंत्रोच्चार के साथ जैन सभा में पहुंची. अखंड पाठ को गतिमान करने के बाद शास्त्र वाचना संपन्न हुई. मंगलपाठ, आरती व प्रसाद वितरण के साथ सभा का समापन किया गया.

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