Seraikela kharsawan News : जोमषुइम आदिवासी अस्मिता और एकता का प्रतीक : दशरथ गागराई

खूंटपानी. पासाये गांव में आदिवासी नववर्ष ‘जोमषुइम’ पारंपरिक उत्साह संग मना

By AKASH | November 23, 2025 12:15 AM

खरसावां.

खूंटपानी के पासाये गांव में आदिवासी नववर्ष ‘जोमषुइम’ बड़े उत्साह और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया. एटे तुरतुंड सुल्ल पिटिका अखड़ा, षषन मुतुल रुमतुलय पाहसेया और आदिवासी हो समाज महासभा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत दियुरी ने विधिवत पूजा-अर्चना के साथ की. कार्यक्रम में शामिल आयोजन समिति के संरक्षक व विधायक दशरथ गागराई ने कहा कि आधुनिकता के इस दौर में अपनी परंपरा, संस्कृति, रीति-रिवाज और पर्व-त्योहारों को संरक्षित रखना हम सभी का महत्वपूर्ण दायित्व है. उन्होंने सामाजिक एकता, संस्कृति संरक्षण और सामाजिक कार्यों में युवाओं की सक्रिय भागीदारी पर विशेष बल दिया. विधायक गागराई ने कहा कि जोमषुइम केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता और एकता का प्रतीक है. हमें अपनी संस्कृति, परंपरा और सभ्यता के प्रति सदैव सजग रहना चाहिए, क्योंकि इन्हीं में हमारी असली पहचान निहित है. उन्होंने समाज के लोगों से बच्चों को शिक्षित करने और भाषा, संस्कृति तथा परंपराओं से जुड़े रहने की अपील की.

जोमषुइम में समाज के लोगों ने एक साथ लजीज भोजन का आनंद लिया

आदिवासी नववर्ष ‘जोमषुइम’ के अवसर पर समाज के सभी लोगों ने सामूहिक रूप से लजीज भोजन का आनंद लिया और अपनी संस्कृति, परंपरा तथा सभ्यता को सुरक्षित रखने का संकल्प लिया. कार्यक्रम में सामाजिक एकजुटता बनाये रखने पर विशेष जोर दिया गया. कार्यक्रम की शुरुआत भगवान बिरसा मुंडा, ओत गुरु लाको बोदरा और सामाजिक कार्यकर्ता दिवंगत दामोदर सिंह हांसदा की तस्वीरों पर माल्यार्पण कर की गयी. इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए तथा समाज के प्रबुद्ध लोगों को सम्मानित भी किया गया. कार्यक्रम के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता बासंती गागराई, आदिवासी हो समाज महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष के केंद्रीय अध्यक्ष कृष्ण चंद्र बोदरा, साधना चाकी, झारखंड आंदोलनकारी सुखदेव हेंब्रम, जिप सदस्य यमुना तियु, लक्ष्मी सरदार, पूर्व डीडीसी डिबार जोंको, आयोजन समिति के अध्यक्ष वीर सिंह मुंडारी, उपाध्यक्ष नितिमा बोदरा, सचिव अनिता देवगम, सह सचिव अशोक मुंडारी, कोषाध्यक्ष संजय बोदरा, विजय बोदरा, बिंग बिक्रम सिंह बोदरा, अंजली बोदरा, बासमती बानरा, सुधीर लेयांगी, मंगल सिंह बानरा, दुर्गाचरण पाडेया, डिंबु तियु, सकारी दोगों, अशोक मुंडरी, अजीत कांडेयांग मौजूद थे.

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