दुर्गोत्सव के आगमन का संदेश दे रहे सरायकेला-खरसावां में लहराते कास के फूल

Durga Puja 2025: बारिश को मौसम के खात्मे और दुर्गोत्सव के आगमन का संदेश देते हैं कास के फूल. सरायकेला-खरसावां जिले में चारों ओर कास के फूल दिख रहे हैं. इससे लोग रोमांचित हैं. लोग कास के फूलों के बीच में जाकर फोटो सेशन करवा रहे हैं. कोई रील बना रहा है. हर कोई उत्सव के रंग में रंगने के लिए तैयार है.

By Mithilesh Jha | September 14, 2025 9:02 PM

Durga Puja 2025| खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश : सरायकेला-खरसावां के पाहाड़ी क्षेत्र, नदी-तालाब के तट, खेतों की मेड़ों से लेकर बांध पोखर, पगडंडियों पर कास (काशी) के फूल लहलहा रहे हैं. सड़क किनारे लहराते कास के फूल राहगीरों को अपनी ओर आकर्शित कर रहे हैं. चारागाह हो, खेतों के मेड़ हों, गांवों की पगडंडियां हों या जलाशयों का किनारा. मानो सबने कास के घास और फूलों का तोरण-द्वार तैयार कर रखा है. हरियाली की चादर में टांके गये कास के सफेद फूलों का गोटा प्रकृति की अपने अनुपम शृंगार की सुंदर झलक है.

Durga Puja 2025: धरा पर 2 ही रंग- हरीतिमा और श्वेताभ

ऐसा लग रहा है मानो धरा पर श्वेताभ और हरीतिमा दो रंग ही शेष बचे हैं. यही रंग उत्सव का है. खुशी का रंग है, खुशहाली का रंग है. इन्हीं 2 रंगों में धन, धान्य, वैभव, शांति और उन्नति का भाग्य निहित है. बड़ी संख्या में लोग इन कास के फूलों के साथ फोटो सेशन भी करा रहे हैं. युवा वर्ग कास के फूलों के बीच मोबाFल पर रील्स भी बना रहे हैं. अमूमन देखा जाता है कि कास के ये फूल सितंबर में उगते हैं.

कास के फूल से हुआ धरा का शृंगार. फोटो : प्रभात खबर

वर्षा ऋतु के समापन और शरद ऋतु के आगमन का संकेत

कास के फूल वर्षा ऋतु के समापन और शरद ऋतु के आगमन का संकेत दे रहे हैं. कास के ये फूल नवरात्र के जल्द आने का भी संदेश दे रहे हैं. शारदीय उत्सव के शुरू होने से पहले ही कास या कांस के फूलों के जंगल परिपक्व हो जाते हैं. हल्की ठंड के बीच ठंडी बयार मानो मां दुर्गा के आगमन और उनके स्वागत का पूर्वाभ्यास कर रहा हो. दुर्गा पूजा में कास के फूलों का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि कास के फूलों से शुद्धता आती है.

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हो समाज के मागे नृत्य में होता है कास के फूलों का उपयोग

झारखंड में युगों-युगों से यथावत ये कास के फूल उत्सवों-परंपराओं का साक्षी बनते रहे हैं. जंगलों-पठारों पर कास का फूलना कई उत्सवों के आगमन का संकेत है. बुरु (पहाड़ देवता) के पूजा में कास के फूलों का महात्म्य है. हो समुदाय के सबसे बड़े त्योहार मागे पर्व में नृत्य के दौरान भी कास के फूलों का उपयोग होता है. सितंबर में भी कास के फूलों को कागज में लपेटकर रखा जाता है और मागे नृत्य के दौरान इसका इस्तेमाल कर उड़ाया जाता है.

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