साहिबगंज जिले के सभी पंचायत भवनों में इंटरनेट और डिजिटल व्यवस्था सुस्त, बायोमैट्रिक सिस्टम फेल
पंचायत के बजाय प्रखंड कार्यालय से बायोमैट्रिक हाजिरी बना रहे पंचायत सचिव
बरहेट केंद्र और राज्य सरकार की लाख पहल के बावजूद डिजिटल इंडिया मुहिम ग्राम पंचायतों में दम तोड़ती नजर आ रही है. जिले के 166 पंचायत भवन अब तक हाईस्पीड इंटनरेट से नहीं जुड़ पाये हैं. इसके चलते पंचायत भवन से होने वाले छोटे-छोटे कार्यों के लिये भी लोगों को प्रखंड मुख्यालय पहुंचना पड़ता है. वहीं, पंचायत सचिवालय में रहने के फरमान के बावजूद पंचायत सचिव नहीं पहुंच रहे हैं, जिससे सारे काम-काज पंचायत सचिवालयों से न होकर प्रखंड मुख्यालय से हो रहे हैं. पंचायतीराज विभाग के निर्देशानुसार प्रतिदिन पंचायत सचिव को पंचायत भवन पहुंच कर बायोमेट्रिक सिस्टम से हाजरी बनानी है, लेकिन अधिकांश पंचायत सचिव प्रखंड मुख्यालय से बायोमैट्रिक हाजिरी बना रहे हैं. रख-रखाव पर लाखों की धनराशि खर्च जिले की सभी पंचायतों को वाई-फाई युक्त बनाने की योजना कई वर्षों बाद पूरी नहीं हो पायी है. वहीं, पंचायत भवनों के संचालन को लेकर प्रतिवर्ष लाखों की धनराशि खर्च किये जाने के बाद भी पंचायत सचिवालय भारत नेटवर्क वाई-फाई चौपाल इंटरनेट सुविधा योजना से लैस नहीं हो पाये. जिले के बरहेट, बरहरवा, मंडरो, बोरियो, तालझारी, उधवा, राजमहल, साहिबगंज इन सभी प्रखंडों में हालत और भी खराब हैं. इन प्रखंडों से जुड़ी किसी भी ग्राम पंचायत में योजना के तहत अभी तक काम-काज की शुरूआत नहीं हुई है. इसके चलते पंचायत भवनों व अन्य सरकारी संस्थानों को इंटरनेट सुविधा युक्त बनाने की योजना धरातल पर पूरी तरह धराशायी दिख रही है. जानकारी हो कि ग्राम पंचायतों में स्थित सरकारी संस्थान जैसे पंचायत भवन, विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र, जनसेवा केंद्र समेत अन्य संस्थानों को इंटरनेट सुविधा से लैस करने को लेकर शासन द्वारा वाई-फाई चौपाल इंटरनेट सुविधा योजना की शुरूआत साल 2019 में की गयी थी. और, इसकी जिम्मेदारी जिला पंचायती राज विभाग को सौंपी गयी थी. महंगे इंटरनेट सुविधा का कर रहे उपयोग सरकार की ओर से जनसेवा केंद्र शुरू किया गया है लेकिन संचालक महंगे और निजी खर्च कर इंटरनेट सुविधा लेकर संचालन कर रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार की ओर से सभी पंचायत भवनों व अन्य सरकारी संस्थानों को इंटरनेट से जोड़ने और डिजिटल बनाने की योजना धरातल पर कागजों तक ही सीमित हो गयी है. योजना के तहत वाई-फाई सुविधा से अपग्रेड न हो पाने से पंचायत भवन, राशन की दुकान, आंगनबाड़ी केंद्र समेत अन्य सरकारी संस्थानों में विभिन्न प्रकार के फीडिंग कार्य वैकल्पिक व्यवस्था के तहत कराना पड़ रहा है. वहीं, सभी पंचायतों में सीएससी का संचालन भी नहीं हो पा रहा है. जिससे लोगों को निजी दुकानों और साइबर कैफ़े की ओर रूख करना पड़ता है.
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