अभिभावक-शिक्षक दिवस पर शिक्षा स्तंभों को सुदृढ़ करने पर जोर

साहिबगंज के राजस्थान मध्य विद्यालय में अभिभावक शिक्षक दिवस पर बैठक हुई, जिसमें प्राचार्या रानी झा ने आयोजन किया। मुख्य अतिथि जयप्रकाश सिन्हा ने शिक्षा के चार स्तंभ—गुरु, अभिभावक, प्रशासनिक सहयोग और सामाजिक क्षेत्र—को मजबूत करने पर बल दिया और सरकारी स्कूलों में उपलब्ध सुविधाओं एवं छात्रवृत्तियों की जानकारी दी। अभिभावकों को बच्चों को समय पर स्कूल भेजने और उनकी पढ़ाई में रुचि बढ़ाने हेतु प्रोत्साहित किया गया। प्राचार्या और शिक्षकों की टीम स्कूल अनुशासन और शिक्षा गुणवत्ता में सक्रिय है। कई छात्र खेलों में मेडल विजेता हैं और राज्य, राष्ट्रीय स्तर पर भाग लेने की तैयारी कर रहे हैं। समाजसेवी मोती तंबाकू वाला ने बच्चों को पुरस्कार भी वितरित किए। अभिभावकों को अपनी बात रखने का मौका दिया गया।

By SUNIL THAKUR | September 9, 2025 5:53 PM

संवाददाता, साहिबगंज. राजस्थान मध्य विद्यालय के सभा हॉल में मंगलवार को अभिभावक-शिक्षक दिवस पर बैठक आयोजित की गई. प्राचार्या रानी झा ने कार्यक्रम को संबोधित किया, जिसमें पूर्व पार्षद एवं समाजसेवी जयप्रकाश सिन्हा मुख्य अतिथि थे. उन्होंने शिक्षा के चार स्तंभों – गुरु, अभिभावक, प्रशासनिक सहयोग और सामाजिक क्षेत्र के प्रतिनिधियों – को मजबूत करने पर बल दिया, जिससे बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके. उन्होंने सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में दी जा रही भोजन, पुस्तकें, जूते-मोजे, ड्रेस और छात्रवृत्ति जैसी सुविधाओं का उल्लेख किया, जिनका उद्देश्य बच्चों के जीवन में शिक्षा का विकास करना है. साथ ही, मेधावी छात्रों के लिए सरकार और बैंकों द्वारा दिए जा रहे ऋण की जानकारी भी दी. प्राचार्या रानी झा अपनी टीम, जिसमें मीना देवी, विभीषण पासवान, चांदनी देवी, सुबोध झा आदि शिक्षक शामिल हैं, के साथ अवकाश प्राप्त शिक्षकों का सहयोग लेकर स्कूल की शिक्षा में योगदान दे रही हैं. स्कूल का अनुशासन बनाए रखने में पूरी टीम निरंतर सहयोग कर रही है, जिससे छात्रों की पढ़ाई में रुचि बढ़ रही है. स्कूल के कई छात्रों ने खेल के क्षेत्र में मेडल प्राप्त किए हैं और वे राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभागी बनने की तैयारी कर रहे हैं. समाजसेवी मोती तंबाकू वाला ने भी सहयोग राशि से बच्चों को पारितोषिक वितरित किए. बैठक को शिक्षक विभीषण पासवान, मोती तंबाकू वाला और अन्य लोगों ने भी संबोधित किया. अंत में, अभिभावकों को अपनी बात रखने का अवसर दिया गया.

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