मनरेगा के सिंचाई कूप से खेतों की हो रही बेहतर सिंचाई, एक से अधिक फसलों का कर रहे उत्पादन

डोभा से सिंचाई के साथ-साथ मछली पालन भी कर आत्मनिर्भर बने किसान, दूर की आर्थिक तंगी

By ABDHESH SINGH | March 29, 2025 8:26 PM

बरहरवा. जहां एक ओर मनरेगा योजना के जॉब कार्डधारियों को 100 दिनों का रोजगार देने का काम कर रही है. वहीं, मनरेगा योजना से बने सिंचाई कूप, बिरसा बागवानी, डोभा इत्यादि का लाभ क्षेत्र के किसानों को भी मिल रहा है. क्षेत्र के किसान मनरेगा योजना से बने सिंचाई कूप से अपने खेतों की सिंचाई कर पा रहे हैं. इससे उनकी आजीविका भी बढ़ रही है व उन्हें आर्थिक रूप से मदद भी मिल रही है. इससे उनके परिवार के पालन पोषण में भी काफी सहायक हो रही है. प्रखंड की पलसबोना पंचायत के पलासबोना गांव निवासी जियाउल शेख पिता महबुल शेख अपने खेत में बने सिंचाई कूप से खेतों की बेहतर ढंग से सिंचाई कर पा रहे हैं और उससे लाभान्वित भी हो रहे हैं. जियाउल शेख को खेतों की सिंचाई के लिए पानी की काफी समस्या होती थी, जिससे वे एक से अधिक फसलों का उत्पादन भी नहीं कर पाते थे. जिस कारण से उनकी आमदनी भी प्रभावित होती थी. वित्तीय वर्ष 2023-24 में बिरसा सिंचाई संवर्धन योजना के तहत करीब 3 लाख 96 हजार रुपये की लागत से सिंचाई कूप का निर्माण उसके खेत में कराया गया. इसके लिए ग्राम सभा से सर्वसम्मति से सिंचाई कूप निर्माण पारित भी हुआ. मनरेगा के मजदूरों के द्वारा सिंचाई को निर्माण में कार्य भी हुआ. जिसके बाद लाभुक को सिंचाई कूप उपलब्ध हो गया. सिंचाई कूप बनने के बाद खेतों की सिंचाई हेतु पानी की समस्या समाप्त हो गयी. अब लाभुक अपने खेत में गेहूं, धान के अलावे सब्जियों में आलू, प्याज, टमाटर, बैगन, लहसुन, मिर्च, खीरा इत्यादि उगा पा रहा है. इससे उसे 1 लाख 8 हजार रुपये की वार्षिक आय भी हो रही है. 50-60 हजार रुपये की वार्षिक आय हो रही प्रखंड के मयूरकोला पंचायत के विजयपुर गांव के किसान देवला किस्कू के लिए मछली पालन का साधन बन गया है. उसकी जमीन पर वित्तीय वर्ष 2019-20 में 4 लाख 65 हजार रुपये में डोभा का निर्माण करवाया गया था. डोभा निर्माण के बाद वह उसके पानी का उपयोग खेतों की सिंचाई करने के लिए किया करता था. धीरे-धीरे उसने उस डोभा में मछली पालन करने का व्यवसाय शुरू कर दिया. मछली पालन कर उसे अच्छी-खासी आमदनी भी हो रही है. इससे उसकी आजीविका भी हो रही है. डोभा निर्माण के पूर्व उसके खेतों की फसलों में सिंचाई की समस्या होती थी, जो अब दूर भी हो गई है. अभी उसकी मछली पालन से करीब 50-60 हजार रुपये की वार्षिक आय हो रही है.

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