Ramgarh Mine Accident News : अवैध खदान में लगी आग के अंदर गया मजदूर, मौत की आशंका

रजरप्पा थाना क्षेत्र के भुचूंगडीह गांव स्थित अवैध खदान में लगी आग को बुझाने के दौरान एक मजदूर समा गया. घटना मंगलवार शाम 6:30 बजे की है, लेकिन चार घंटे बाद भी मजदूर का पता नहीं चल पाया है. ऐसे में आशंका जातायी जा रही है कि मजदूर की मौत हो गयी है.

By DUSHYANT KUMAR TIWARI | May 20, 2025 11:02 PM

रजरप्पा(रामगढ़). रजरप्पा थाना क्षेत्र के भुचूंगडीह गांव स्थित अवैध खदान में लगी आग को बुझाने के दौरान एक मजदूर समा गया. घटना मंगलवार शाम 6:30 बजे की है, लेकिन चार घंटे बाद भी मजदूर का पता नहीं चल पाया है. ऐसे में आशंका जातायी जा रही है कि मजदूर की मौत हो गयी है. हालांकि, सीसीएल रजरप्पा प्रबंधन मजदूर को खोजने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहा है. घटना की सूचना मिलते ही मजदूर के परिजन और ग्रामीण घटनास्थल पहुंच गये. मजदूर की पत्नी मीरा देवी बार-बार बेहोश हो जा रही थी.

ठेकेदार को सौंपा गया है आग बुझाने का काम

जानकारी के अनुसार, यहां लगी आग को बुझाने का काम एक ठेकेदार को सौंपा गया है. ठेकेदार ने यहां गोला थाना क्षेत्र के खोखा निवासी रवींद्र महतो (30, पिता-चंद्रनाथ महतो) सहित कई मजदूरों को आग बुझाने के लिए रखा था. मंगलवार शाम लगभग 6:30 बजे रवींद्र महतो अन्य मजदूरों के साथ पाइप से पानी डाल रहा था. इसी बीच, अचानक वह आग लगी खदान के अंदर समा गया. रवींद्र के साथ काम कर रहे मजदूर गांधी महतो ने बताया कि हमलोग एक साथ काम कर रहे थे. इसी बीच, जमीन धंस गयी और वह नीचे चले गया. गमछा देकर रवींद्र को बचाने का प्रयास किया, लेकिन आग की लपटें और तेज हो गयी. इसके कारण उसे बचा नहीं पाये. इसके बाद घटना की सूचना ठेकेदार को दी गयी.

अधिकारियों पर फूटा ग्रामीणों का गुस्सा

घटना की सूचना पाकर रजरप्पा महाप्रबंधक कल्याणजी प्रसाद समेत कई अधिकारी मौके पर पहुंचे. यहां अधिकारियों को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा. ग्रामीणों ने यहां प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की. ग्रामीणों का कहना था आग भड़कने से पहले ही सीसीएल रजरप्पा प्रबंधन को सूचना दी गयी थी, लेकिन इसे नजरअंदाज किया गया. मौके पर पहुंचे रजरप्पा थाना प्रभारी कृष्ण कुमार लोगों से किसी भी हाल में अगलगी स्थल के आसपास नहीं जाने की अपील कर रहे थे.

बिना सुरक्षा का हो रहा था काम

स्थानीय लोगों का आरोप था कि यहां सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं किया गया था. अवैध खदान में लगी आग को हल्के रूप में लेकर आग बुझाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही थी. आग कहां से कहां तक लगी हुई है, इसकी भी जांच नहीं की गयी है. इसके कारण मजदूरों को समझ नहीं आया कि यहां भू-धंसान हो सकता है.

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