Ranchi News : पीएसयू के सेवानिवृत्त अफसर से 1.39 करोड़ ठगी में तीन साइबर फ्रॉड गिरफ्तार
सीबीआइ, एनसीबी व एनआइए का अधिकारी बन मनी लाउंड्रिंग में फंसाने की धमकी दी
वरीय संवाददाता, रांची. पीएसयू (पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग) के सेवानिवृत्त अफसर से 1.39 करोड़ 70 हजार रुपये के साइबर फ्रॉड मामले में झारखंड सीआइडी की साइबर थाना पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनमें तेलंगाना के हैदराबाद से बी आइजैक अहमद और कुन्नापुल्ली सुब्रमण्या शर्मा के अलावा मिजोरम के आइजोल जिले का लालदुसंगा शामिल हैं. आरोपी कुन्नापल्ली सुदर्शन शर्मा दुबई स्थित एक साइबर क्राइम सिंडिकेट के साथ काम करता था. वह RAKBANK और अन्य बैंकों के जरिये ठगी की गयी राशि को भारत में ट्रांसफर करता था.
आरोपियों के पास से वारदात में इस्तेमाल किया गया चार मोबाइल, चार सिम, पांच एटीएम कार्ड, एक लैपटॉप, तीन चेकबुक, एक पेन ड्राइव, एक आधार कार्ड और एक वोटर कार्ड जब्त किया गया है. वहीं कांड से संबंधित व्हाट्सऐप चैट, कुनापल्ली इमपेक्स प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के नाम से बना सील यूएइ रेसिडेंट आइडी कार्ड बरामद किया गया है. मामले में पीड़ित की शिकायत पर 14 मई 2025 को सीआइडी के साइबर थाना रांची में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इसमें कहा गया था कि उन्हें एक व्हाट्सऐप कॉल आया, जिसमें तीनों साइबर अपराधियों में से किसी ने खुद को सीबीआइ, किसी ने एनसीबी और किसी ने एनआइए जैसी केंद्रीय एजेंसियों का अधिकारी बताया. वहीं बुजुर्ग को मनी लाउंड्रिंग जैसे गंभीर मामलों में फंसाने की धमकी देकर डिजिटल अरेस्ट किया. इसके बाद तत्काल 1.39 करोड़ 70 हजार रुपये की अवैध वसूली की. एक आरोपी ने कुनापल्ली इंपेक्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर आइसीआइसीआइ बैंक में खाता खोल रखा था. इस खाते में ठगे गये पैसे जमा कराये जाते थे और आगे किसी अन्य खाते में ट्रांसफर कर दिये जाते थे. केवल एक दिन में ही इस खाते में एक करोड़ 72 लाख 94 हजार 100 रुपये ट्रांसफर किये गये थे. आरोपी के खाते से संबंधित 15 शिकायतें नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर थी. इनमें झारखंड से एक, पश्चिम बंगाल से दो, राजस्थान से तीन, गोवा से दो, बिहार से एक, महाराष्ट्र से एक, आंध्र प्रदेश से एक, केरल से एक, मध्य प्रदेश से एक, तेलंगाना से एक और उत्तर प्रदेश से एक शिकायत की गयी थी.कैसे करते हैं ठगी-अपराधी खुद को सीबीआइ, एनसीबी, एनआइए, क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर व्हाट्सऐप व वीडियो कॉल करते हैं.
– वीडियो कॉल पर सरकारी वर्दी में नकली अधिकारी दिखाकर पीड़ित को डराया जाता है कि वह मनी लाउंड्रिंग जैसे किसी गंभीर मामले में शामिल है.– फिर डिजिटल अरेस्ट की धमकी देकर मानसिक दबाव बनाते हैं. डर के मारे पीड़ित तत्काल भुगतान कर देता है.
-भुगतान के लिए बैंक खाता का डिटेल साझा करता है. फिर एक से ज्यादा बार में पैसा ट्रांसफर करता है.————-
साइबर डीएसपी नेहा बाला ने बताया : इन बातों का रखें ध्यान, तो हो सकता है बचाव
-कोई भी सरकारी एजेंसी व्हाट्सऐप या वीडियो कॉल के माध्यम से गिरफ्तारी या डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है. कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है.-किसी भी अनजान व्यक्ति के दबाव या धमकी में आकर कोई भी धनराशि ट्रांसफर ना करें.
-बैंक डिटेल, ओटीपी, यूपीआइ साझा ना करें-यदि कोई खुद को अधिकारी बता कर कॉल करता है और पैसे मांगता है, तो तुरंत 1930 पर कॉल करें.
-साइबर से संबंधित किसी मामले को लेकर स्थानीय साइबर या पुलिस थाना से तुरंत संपर्क करें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
