सदर अस्पताल में पार्किंग का मर्ज बेकाबू, कब होगा इलाज
सदर अस्पताल की पार्किंग में अव्यवस्था और कब्जे की समस्या गंभीर होती जा रही है. ठेकेदार की मनमानी वसूली से मरीजों के परिजन परेशान हैं.
रांची. सदर अस्पताल की पार्किंग में अव्यवस्था और कब्जे की समस्या गंभीर होती जा रही है. ठेकेदार की मनमानी वसूली से मरीजों के परिजन परेशान हैं. अस्पताल में एंबुलेंस को पर्याप्त जगह नहीं दी जा रही है. परिसर में बड़ी संख्या में बाहरी वाहनों का जमावड़ा रहता है, जिससे मरीजों को परेशानी होती है और अक्सर एंबुलेंस भी फंस जाती हैं. इस पर झारखंड हाइकोर्ट भी नाराजगी जता चुका है. पार्किंग शुल्क में अधिक कमाई के लिए कॉलेज स्टूडेंट्स की दोपहिया बाइकों को एंबुलेंस के लिए चिन्हित पार्किंग स्पेस में खड़ा किया जा रहा है. बीते सात अगस्त को यहां दो पक्षों के बीच मारपीट हुई थी. परिजनों ने बताया कि शाम ढलते ही पार्किंग असामाजिक तत्वों का अड्डा बन जाती है और आसपास के नशेड़ी यहां नशा करते हैं. कई बार शिकायत के बावजूद व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है.
नगर निगम से तीन गुना अधिक शुल्क
सदर अस्पताल में पार्किंग का ठेका बदला, पर वसूली का तरीका नहीं. एजेंसी नियमों का उल्लंघन कर मनमाने तरीके से शुल्क वसूल रही है. परिसर में लगे रेट चार्ट फाड़ दिये गये हैं, ताकि लोगों को सही दर की जानकारी न मिल सके. एक घंटे के लिए 10-20 रुपये वसूले जा रहे हैं. जबकि रांची नगर निगम के सार्वजनिक पार्किंग स्थलों पर शुरुआती 10 मिनट फ्री हैं और तीन घंटे के लिए दोपहिया से 10 व चारपहिया से 30 रुपये लिये जाते हैं. यहां ठेका लेने वाली एजेंसी प्रति घंटे दोपहिया से 10 और चारपहिया से 20 रुपये वसूल रही है.
ठेका अवधि समाप्त, फिर भी चल रहा काम
सदर अस्पताल परिसर में पार्किंग का ठेका करीब दो महीने पहले समाप्त हो चुका है. 14 मई को सिविल सर्जन कार्यालय ने हाउसकीपिंग के लिए नया टेंडर जारी किया था, जिसमें पार्किंग शामिल नहीं थी. शुरुआती विवाद के कारण हाउसकीपिंग का ठेका भी रद्द कर दिया गया. 2022 अप्रैल में निकले पहले टेंडर में निविदा दर 70 हजार थी. इसके बाद छह महीने के लिए इमरजेंसी और सिविल सर्जन कार्यालय समेत तीन पार्किंग स्थलों का ठेका 2.45 लाख रुपये में दिया गया, जो बाद में बढ़कर पांच लाख से ऊपर चला गया.
वाहनों की सुरक्षा नहीं
अस्पताल में आगंतुकों के वाहन सुरक्षित नहीं हैं. आये दिन यहां से वाहन चोरी की शिकायत लोअर बाजार थाने में दर्ज होती रहती है. हाल ही में एक व्यक्ति की दोपहिया चोरी होने पर उसे कहा गया कि पर्ची पहले नहीं ली थी, इसलिए जिम्मेदारी नहीं है. पार्किंग शुल्क वसूली के नाम पर मारपीट की घटनाएं भी होती हैं. अव्यवस्थित पार्किंग ठेकेदार का ध्यान केवल वसूली पर रहता है, व्यवस्था पर नहीं. बाहरी वाहनों की भीड़ से परिसर भरा रहता है. वाहनों को बेतरतीब खड़ा किया जाता है, जिससे मरीजों के परिजनों को जगह नहीं मिलती और परेशानी बढ़ती है.
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