Ranchi News : रेंगारिह चर्च को तीर्थस्थल के रूप में विकसित करने की हो रही पहल
सिमडेगा से 22 किलोमीटर दूर रेंगारिह पल्ली का चर्च कैथोलिक विश्वासियों के लिए तीर्थ स्थल के रूप में उभर रहा है.
रांची. सिमडेगा से 22 किलोमीटर दूर रेंगारिह पल्ली का चर्च कैथोलिक विश्वासियों के लिए तीर्थ स्थल के रूप में उभर रहा है. इस चर्च में झारखंड समेत छत्तीसगढ़ से विश्वासी प्रार्थना और मनन चिंतन के लिए आते हैं. कहा जाता है कि रेंगारिह पल्ली से ही सिमडेगा में कैथोलिक विश्वास का बीज पनपा था. इस मिशन क्षेत्र का इतिहास 125 साल पुराना है. रेंगारिह चर्च के फादर गिलबर्ट ने बताया कि एक अगस्त 1900 को बेल्जियम के मिशनरी फादर लुइस कार्डों ने रेंगारिह मौजा को बिरू राजा से खरीदा था. वर्ष 1901 में फादर कार्डो और योसेफ वान रोवने ने इस क्षेत्र के बंडीपहार नामक जगह पर डेरा डाला. शुरुआती दौर में यहां गिरजा झोपड़ी में आराधना होती थी. अक्तूबर 1903 तक यहां पर पुरोहित निवास बन चुका था. वर्ष 1906 में यहां पर गौथिक शैली में एक सुंदर गिरजाघर बना जो अब नहीं है. मिशनरियों ने यहां पर शिक्षण संस्थान भी शुरू किया जो अभी भी चल रहे हैं. उनके प्रयासों से आदिवासियों की छीनी हुई जमीने भी वापस हुई. 1965 को यहां एक और सुंदर गिरजाघर बनकर तैयार हुआ जिसमें अभी प्रार्थना की जाती है. यह भी गौथिक शैली का एक खूबसूरत नमूना है.
ऑल इंडिया क्रिश्चियन माइनोरिटी फ्रंट ने सौंदर्यीकरण की मांग की
पिछले दिनों ऑल इंडिया क्रिश्चियन माइनोरिटी फ्रंट के महासचिव प्रवीण कच्छप, जिला परिषद सदस्य अजय एक्का ने सिमडेगा जिला प्रशासन से इस स्थल के सौंदर्यीकरण की मांग की है. अजय एक्का ने बताया है कि सिमडेगा जिला स्तरीय पर्यटन संवर्धन समिति की उपायुक्त की अध्यक्षता में हुई बैठक में रेंगारिह पल्ली चर्च को भी सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव पारित किया गया है. अजय एक्का ने कहा कि इस स्थल में चहारदीवारी का निर्माण, आंगतुकों के लिए बैठने और शौचालयों का निर्माण होना चाहिए. इससे बाहर से आनेवाले श्रद्धालुओं को काफी सहूलियत होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
