रांची के जगन्नाथपुर मंदिर के गर्भगृह की जांच कर टीम बोली- टाइल्स में सिलिका होने से फर्श हो रहा गर्म

रांची के जगन्नाथपुर मंदिर (Jagannathpur Temple) के गर्भगृह का फर्श क्यों गर्म हो रहा है, इसकी जांच करने चार सदस्यीय टीम मंदिर पहुंची. इस दौरान जांच टीम ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि टाइल्स में सिलिका होने के कारण फर्श गर्म होने की वजह बतायी.

By Prabhat Khabar | October 13, 2022 12:53 PM

Ranchi News: जगन्नाथपुर मंदिर का गर्भगृह क्यों गर्म हो रहा है, इसकी जांच करने बुधवार को भू-वैज्ञानिक मंदिर पहुंचे. चार सदस्यीय टीम ने करीब एक घंटे तक जांच की. प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के अनुसार, टाइल्स में सिलिका होने को फर्श के गरम होने की वजह बतायी गयी है. कहा गया है कि घबराने की जरूरत नहीं है. अगर भविष्य में फर्श के गर्म होने की सूचना मिलती है और तापमान बढ़ता है, तब विस्तृत सर्वेक्षण की आवश्यकता होगी. खान एवं भूतत्व विभाग के निदेशक विजय ओझा के निर्देश पर जगन्नाथ मंदिर में जांच करने पहुंची टीम में सहायक निदेशक अनिमा खेस, जियोलॉजिस्ट सर्वेश, ऋषभ प्रभात और पर्यवेक्षक जीपी रॉय थे.

क्या है रिपोर्ट में

जांच रिपोर्ट में लिखा है कि मंदिर के गर्भगृह में मूर्ति के सामने करीब 1.5 मीटर परिधि में जहां पूजा-अर्चना की जाती है, वहां जांच की गयी. लगभग 10 वर्ग सेंटीमीटर क्षेत्र के फर्श को गर्म पाया गया. इसका तापमान ल्यूक वाॅर्म (गुनगुना) था. स्पर्श करने पर कोई समस्या नहीं है. फर्श पर पिंक ग्रेनाइट के टाइल्स लगे हैं. जिसमें मेगास्कोपिकैली क्वार्टज फेल्सपार और बायोटाइट का कंपोजिशन पाया गया. सामान्यत: सिलिका हाइ होने से आंशिक रूप से तापमान में परिवर्तन होता है. सर्वेक्षण में पाया गया कि फर्श गर्म होने की घटना छोटे से क्षेत्र में ही केंद्रित है. अत: गर्म होने का कारण भूतात्विक नहीं होना चाहिए.

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अध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी विचार हो : लाल प्रवीर

जगन्नाथपुर मंदिर के संस्थापक ठाकुर ऐनीनाथ शाहदेव के उत्तराधिकारी लाल प्रवीरनाथ शाहदेव व थाना प्रभारी प्रवीण कुमार भी मंदिर के गर्भ गृह में गये. दोनों ने फर्श को छूकर देखा और महसूस किया कि उक्त स्थल गर्म है. जबकि चारों ओर का फर्श ठंडा है़ लाल प्रवीर नाथ ने कहा कि उन्होंने सरकार को भी इस मामले से अवगत करा दिया है़ उनका कहना है कि मंदिर में हजारों की संख्या में लोग रोज भगवान का दर्शन करने आते हैं, इसलिए अध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी विचार किया जाना चाहिए़

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