Ranchi news : जनजातीय संस्कृति व इतिहास का खजाना है राज्य संग्रहालय
राज्य के विभिन्न हिस्सों में पाये जाने वाले 32 जनजातीय समाज के बारे में विस्तृत जानकारी मिल जायेगी.
रांची. यदि आप झारखंड की जनजातीय समाज में रुचि रखते हैं, तो खेलगांव स्थित राज्य संग्रहालय आइये. यहां आपको राज्य के विभिन्न हिस्सों में पाये जाने वाले 32 जनजातीय समाज के बारे में विस्तृत जानकारी मिल जायेगी. यहां आप उनकी संस्कृति और इतिहास से लेकर उनके खानपान और दिनचर्या से रू-ब-रू हो सकेंगे. यही नहीं, राज्य संग्रहालय में आदिवासियों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले वाद्ययंत्र व हस्तशिल्पों को भी दर्शाया गया है. इसके अलावा स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीर के साथ-साथ आदिवासी समाज के आंदोलनकारियों की प्रतिमा भी प्रदर्शित की गयी है.
खुदाई में मिलीं मूर्तियों का अनूठा संग्रह
यहां खुदाई के दौरान मिलीं मूर्तियों का भी अनूठा संग्रह है. ये मूर्तियां अत्यंत दुर्लभ हैं और ऐतिहासिक महत्व रखती हैं. यहां लगभग 100 से अधिक मूर्तियां रखी गयी हैं. साथ ही मानव शास्त्रियों व शोधार्थियों को हमेशा से अध्ययन के लिए आकर्षित करती रही हैं.राज्य संग्रहालय में 10 गैलरी
राज्य संग्रहालय में 10 गैलरी भी बनायी गयी है. इनमें दो गैलरी जनजातीय दीर्घा की है. यहां झारखंड की प्रमुख जनजातियों जैसे असुर, मुंडा, बिरहोर आदि की जीवनशैली, परंपराएं, त्योहार (जैसे सरहुल, फगुआ), पारंपरिक आभूषण और वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन किया गया है.
मूर्तिकला दीर्घा :
इसमें 7वीं से 14वीं शताब्दी के बीच की हिंदू, बौद्ध और जैन मूर्तियां प्रदर्शित हैं, जो झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त हुई हैं. मूर्तिकला गैलरी में ऐतिहासिक कलाकृतियां और स्थापत्य के टुकड़े प्रदर्शित हैं, जो मुख्य रूप से मध्यकालीन (लगभग 7वीं-8वीं शताब्दी से 12वी-13वीं शताब्दी ई) का प्रतिनिधित्व करते हैं.पुरातात्विक दीर्घा :
यहां 2007-09 में खुखरागढ़ (रांची जिला) में राज्य विभाग के नेतृत्व में की गयी खुदाई के दौरान मिली कई कलाकृतियां प्रदर्शित के लिए रखी गयी हैं. इसमें देश के विभिन्न हिस्सों से विभिन्न युगों के मिट्टी के बर्तनों के अवशेष भी प्रदर्शित किये गये हैं. एक अन्य खंड में निजी नागरिकों के संग्रह से सिक्कों और पांडुलिपियों का एक बड़ा संग्रह प्रदर्शित किया गया है, जिन्हें सरकार को दान किया गया था.इन जनजातियों की कलाकृतियां रखी गयी हैं
राज्य संग्रहालय में 32 जनजातियों की संस्कृति व परंपराओं की जीवंत कलाकृतियां प्रदर्शित की गयी हैं. इनमें बेदिया, चिक बड़ाईक, लोहरा, बंजारा, उरांव, माल पहाड़िया, संताल, नगेसिया, महली, बिंझिया आदि शामिल हैं.कलाकृतियों का विवरण
1. सिंहवाहिनी दुर्गा :
ये 12वीं शताब्दी ई की दुर्लभ प्रतिमा है. यह पूर्वी सिंहभूम के ईचागढ़ से खुदाई में मिली है.2. यक्ष-यक्षी :
ये दुर्लभ प्रतिमाएं 11वीं शताब्दी ई की हैं. ये दोनों प्रतिमाएं पूर्वी सिंहभूम के धालभूमगढ़ में खुदाई में मिली है. इसे राज्य संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है.3. लोकेश्वर-विष्णु :
राज्य संग्रहालय में लोकेश्वर-विष्णु की प्रतिमा भी रखी गयी है. ये प्रतिमा 12वीं शताब्दी ई पूर्व की है. लोकेश्वर-विष्णु की प्रतिमा पूर्वी सिंहभूम के ईचागढ़ में खुदाई से निकाली गयी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
