RIMS News : रिम्स की हकीकत : जर्जर बिल्डिंग, टूटी फर्श, बदबू से शौचालय में घुसना मुश्किल
झारखंड हाइकोर्ट के आदेश पर तीन अधिवक्ताओं की टीम गुरुवार को रिम्स का जायजा लेने पहुंची. टीम में दीपक दुबे, राशि शर्मा और खालिदा हया रश्मि शामिल थीं. टीम जैसे ही अस्पताल के मुख्य द्वार पर पहुंची, जर्जर बिल्डिंग और टूटी फर्श ने यहां की अव्यवस्था की तस्वीर बयां कर दी.
रांची. झारखंड हाइकोर्ट के आदेश पर तीन अधिवक्ताओं की टीम गुरुवार को रिम्स का जायजा लेने पहुंची. टीम में दीपक दुबे, राशि शर्मा और खालिदा हया रश्मि शामिल थीं. टीम जैसे ही अस्पताल के मुख्य द्वार पर पहुंची, जर्जर बिल्डिंग और टूटी फर्श ने यहां की अव्यवस्था की तसवीर बयां कर दी. टीम ने भ्रमण शुरू किया, तो परत दर परत अव्यवस्थाओं की पोल खुलने लगी. टीम ने वार्ड पहुंच कर मरीजों से बातचीत की, तो समस्याओं की लिस्ट लंबी होती चली गयी. मरीज और परिजनों ने बताया कि अस्पताल पहुंचने के बाद उन्हें जल्द से जल्द ठीक हो कर यहां से निकलने की चिंता रहती है. टीम शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट होइकोर्ट को सौंपेगी.
एक नर्स 40 मरीजों को संभाल रही, डॉक्टर सहित मैन पावर की कमी भी आयी सामने
टीम एक वार्ड में पहुंची, जिसमें 36 से 40 मरीज भर्ती हैं. उनकी देखभाल के लिए सिर्फ एक नर्स मौजूद है. टीम ने जब अन्य नर्सों के बारे में पूछा, तो पता चला कि एक ही नर्स इतने मरीजों की देखभाल करती है. रिम्स में डॉक्टरों की भारी कमी दिखी. रिम्स प्रशासन ने भी स्वीकारा कि डॉक्टर और थर्ड ग्रेड व फोर्थ ग्रेड कर्मियों की भारी कमी है. बताया गया कि 300 डॉक्टर,144 नर्स और 416 र्थड व फोर्थ ग्रेड कर्मियों की कमी है. करीब 350 से ज्यादा उपकरण विभिन्न विभागों में नहीं हैं.
250 से ज्यादा मरीजों के लिए एक शौचालय, दिन भर में एक बार होती है सफाई
टीम ने रिम्स के ओपीडी और वार्ड में बने शौचालय का जायजा लिया. ओपीडी के पास दो शौचालय हैं, जिसमें बदबू की वजह से घुसना मुश्किल था. वहीं, वार्ड में बने शौचालय की स्थिति बेहद खराब थी. खिड़की खुली हुई थी. दरवाजा टूटे और निकले हुए थे. मरीजों ने बताया कि 200 से 250 मरीज और उनके परिजन रोजाना शौचालय का इस्तेमाल करते हैं. सफाई सुबह में एक बार होती है. मरीज और परिजनों ने टीम को बताया कि डॉक्टर जो दवाएं लिखते हैं, उनमें ज्यादातर महंगी होती हैं और बाहर मिलती हैं. जांच के लिए भी कई बार बाहर के लैब जाना पड़ता है. टीम जब कैदी वार्ड का मुआयना करने पहुंची, तो पाया कि सीढ़ी से उतरना मुश्किल था. लोहे की रेलिंग जंग से सड़ चुकी है, जो हादसे को न्योता दे रहा है. कैदी सहित अन्य वार्ड के बेसमेंट में पानी जमा है. पूछने पर पता चला कि यहां 10 साल से पानी जमा हुआ है. टीम ने ट्राॅमा सेंटर, सेंट्रल इमरजेंसी, किचन, कार्डियोलाॅजी, सेंट्रल लैब और सीटी स्कैन जांच घर का भी भ्रमण किया. टीम के सहयोग के लिए डॉ शैलेश त्रिपाठी, डॉ अजय शाही सहित कई अधिकारी मौजूद थे.
इधर, हाइकोर्ट ने कहा : रिम्स का निरीक्षण कर रिपोर्ट दें
झारखंड हाइकोर्ट ने रिम्स में मरीजों के बेहतर इलाज व बुनियादी सुविधाओं को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान व जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान रिम्स निदेशक का पक्ष सुना. पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने शपथ पत्र दायर करने के लिए समय प्रदान किया. वहीं खंडपीठ ने प्रार्थी व झारखंड बिल्डिंग कॉरपोरेशन के अधिवक्ता को निर्देश दिया कि वह रिम्स का निरीक्षण कर कोर्ट को रिपोर्ट दें. मामले की अगली सुनवाई के लिए आठ अगस्त की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता दीपक कुमार दुबे ने पैरवी की. वहीं रिम्स की ओर से बताया गया कि निदेशक का शपथ पत्र तैयार है, लेकिन वह दाखिल नहीं किया जा सका है. आज ही दाखिल कर दिया जायेगा. उल्लेखनीय है कि रिम्स में इलाज की दयनीय स्थिति को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
