कृषि विधेयकों का झारखंड में विरोध, पूछा : आलू, प्याज और राशन आवश्यक वस्तु नहीं तो क्या है मोदी जी!

झारखंड की राजधानी रांची समेत अलग-अलग जिलों में अलग-अलग पार्टी और बैनर के तले संसद से पास किये गये कृषि संबंधी बिलों का शुक्रवार (25 सितंबर, 2020) को विरोध किया गया. इन तीनों विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए किसान समन्वयक संघर्ष समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा कि आलू, प्याज और राशन आवश्यक वस्तु नहीं है तो क्या है.

By Prabhat Khabar Print Desk | September 25, 2020 6:11 PM

रांची : झारखंड की राजधानी रांची समेत अलग-अलग जिलों में अलग-अलग पार्टी और बैनर के तले संसद से पास किये गये कृषि संबंधी बिलों का शुक्रवार (25 सितंबर, 2020) को विरोध किया गया. इन तीनों विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए किसान समन्वयक संघर्ष समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा कि आलू, प्याज और राशन आवश्यक वस्तु नहीं है तो क्या है.

कृषि विधेयकों के खिलाफ में किसान समन्वय संघर्ष समिति ने एक रैली का आयोजन किया था. यह रैली शहीद चौक से राज भवन होते हुए अल्बर्ट एक्का चौक पहुंचा. इस दौरान रैली में शामिल लोगों ने केंद्र सरका के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. अल्बर्ट एक्का चौक पर भी केंद्र सरकार के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने हल्ला बोला.

किसान समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक सह अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव महेंद्र पाठक समेत रैली में शामिल तमाम नेताओं ने मोदी सरकार पर किसानों को ठगने का आरोप लगाया. कहा कि केंद्र की मोदी सरकार किसानों से झूठ बोल रही है. लगातार तीन वर्षों से किसानों की आमदनी दोगुना करने के नाम पर उन्हें धोखा दे रही है.

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विरोध प्रदर्शन कर रहे विभिन्न संगठनों के नेताओं ने कहा कि संसद से जो तीन कानून पास किये गये हैं, तीनों काला कानून हैं. इसके लागू होने से देश के किसान बर्बाद हो जायेंगे. लोगों को समर्थन मूल्य नहीं मिल पायेगा. देश में कंपनी राज स्थापित हो जायेगा. उन्होंने कहा कि अडानी-अंबानी खेती करेंगे. अपने ही खेत में मजदूरी करने के लिए किसान विवश होंगे.

इन लोगों ने कहा कि जमाखोरी एवं मुनाफाखोरी पर कोई अंकुश नहीं रह जायेगा. नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश की संसद को शर्मसार करके इस बिल को पास कराया. कहा विपक्षी दलों के नेता इन तीनों बिलों पर चर्चा की मांग कर रहे थे. लेकिन, ऐसा नहीं होने दिया गया. उन्होंने वोटिंग की मांग की, तो बिल को ध्वनिमत से पारित करवा दिया.

किसान समन्वय संघर्ष समिति के बैनर तले जुटे नेताओं ने कहा कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार हठधर्मिता पर उतारू है और देश को बर्बाद कर रही है. एकाएक नोटबंदी, फिर जीएसटी और कोरोना वायरस के नाम पर लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी. अब सरकार की नजर किसानों की खेत पर है.

इन्होंने आरोप लगाया कि यही वजह है कि लगातार सरकार किसानों पर हमला बोल रही है. सार्वजनिक संस्थानों को सरकार बेच रही है. रेल, भेल, सेल एवं कोयला से लेकर हवाई अड्डे तक सरकार बेचने पर तुली हुई है. किसानों की खेती कंपनियों को देने के लिए बेताब है. इसलिए देश के 300 किसान संगठनों एवं 18 राजनीतिक दलों के लोग लाखों लोग सड़कों पर उतरे हैं और किसान विरोधी बिलों का विरोध कर रहे हैं.

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प्रदर्शन करने वालों में सिटू के प्रदेश सचिव प्रकाश विप्लव, किसान महासभा के भुवनेश्वर केवट, अजय कुमार सिंह सच्चिदानंद मिश्रा, मेहुल मृगेंद्र, उमेश नजीर कर रहे थे. सभा में महेंद्र पाठक, पप्पू लिंडा, प्रफुल्ल लिंडा, श्रीमती कृपा, बीरेंद्र कुमार, शुक्ला एनाम, डा महेश मुंडा, अनवर, विजय वर्मा, देवकी सुमित समेत भारी संख्या में लोग शामिल थे.

Posted By : Mithilesh Jha

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