Poor Quality Liquor : घटिया देशी शराब को लेकर झारखंड से आई बड़ी खबर
Poor Quality Liquor : घटिया देसी शराब की आपूर्ति कर सरकार को 136 करोड़ का नुकसान पहुंचाया गया. एसीबी की जांच में खुलासा हुआ. छत्तीसगढ़ डिस्टिलरी के मालिक अभियुक्त बनाये गये. नवीन केडिया चार नोटिस के बावजूद नहीं आये. तीन बार नोटिस लेने से इंकार किया.
Poor Quality Liquor : (अमन तिवारी) शराब कारोबारियों ने राज्य में घटिया देशी शराब (महुआ प्लेन ब्रांड) की आपूर्ति कर राज्य सरकार को 136 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है. इस बात का खुलासा एसीबी की जांच में भी हुआ है. जांच में आये तथ्यों के आधार पर एसीबी ने घोटाला में शामिल होने के आरोप में छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब कारोबारी नवीन केडिया को केस में अप्राथमिकी अभियुक्त बनाया है. नवीन केडिया मेसर्स छत्तीसगढ़ डिस्टिलरी के संचालक हैं. आंध्र प्रदेश में भी इनका शराब का कारोबार है. छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला के मामले में इनके खिलाफ वहां की एसीबी और इडी जांच कर रही है.
एसीबी की ओर से कोर्ट को बताया गया है कि नवीन केडिया की कंपनी देशी और विदेशी शराब का उत्पादन करती है. नवीन केडिया की कंपनी झारखंड में देशी शराब आपूर्ति के लिए नियुक्त ओम साइ बेवरेज के माध्यम से शराब की आपूर्ति करती थी. इसलिए मामले में शराब घोटाला से उनकी संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है. शराब की आपूर्ति के दौरान होलसेल नियमों की भी अनदेखी की गयी. केस में पूर्व में ओम साई बेवरेज के निदेशक गिरफ्तार हो चुके हैं. क्योंकि एसीबी की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि आरोपी द्वारा राज्य में घटिया देशी शराब की आपूर्ति की गयी. जिस कारण मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि एसीबी ने जांच में पाया है कि महुआ प्लेन ब्रांड 180 एमएल शराब की बोतल में संदिग्ध पदार्थ मिले हैं.
एसीबी की ओर से कोर्ट को बताया गया है कि एसीबी की ओर से नवीन केडिया को केस में पूछताछ के लिए कुल चार बार नोटिस भेजा गया था. लेकिन तीन बार उन्होंने नोटिस लेने से इंकार कर दिया. अनुसंधान के दौरान शराब घोटाला केस में नवीन केडिया द्वारा एसीबी को सहयोग नहीं किया गया. इसलिए शराब घोटाला केस में उनकी भूमिका को संदिग्ध माना गया है.
टेंडर से पहले दे दिया गया शराब आपूर्ति का काम
एसीबी की ओर से कोर्ट को यह भी बताया गया कि नवीन केडिया की कंपनी को शराब आपूर्ति का काम आधिकारिक रूप से न्यूज पेपर में टेंडर जारी होने से पहले दे दिया गया था. एसीबी ने जांच में पाया है कि नियम के अनुसार शराब आपूर्ति करने वाली कंपनी को शराब आपूर्ति करने से पहले जेएसबीसीएल के साथ एग्रीमेंट करना था. लेकिन बिना किसी एग्रीमेंट के कंपनी को शराब आपूर्ति का काम दे दिया गया था.
शराब घोटाला केस में पहले 38 करोड़ और फिर 70 करोड़ घोटाला का हो चुका है खुलासा
एसीबी की ओर आरंभिक जांच के बाद शराब घोटाला को लेकर जो केस दर्ज किया गया था, उसमें 38 करोड़ रुपये से अधिक घोटाले का मामला सामने आया था. यह घोटाला शराब के कारोबार में शामिल मैन पावर सप्लाई करने वाली कंपनियों द्वारा फर्जी बैंक गारंटी पर काम लेकर और सरकार को राजस्व का भुगतान नहीं कर दिया गया था. इसी केस की जांच में एसीबी को 70 करोड़ रुपये और घोटाले की जानकारी मिली थी. एसीबी को जांच में यह पता चला था कि प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से जो शराब की बिक्री की जाती थी, उसके अनुपात में पैसा जमा नहीं कर और प्रिंट रेट से अधिक कीमत पर शराब बेचकर करीब 70 करोड़ रुपये सरकारी राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया था.
