मजदूर-किसान बेचैन, लॉकडाउन ने तोड़ दी कमर, पढ़ें क्या चाहते हैं झारखंड के लोग

जनता कर्फ्यू से 57 दिन घरों में कैद रहे, धैर्य से समाज ने काटे दिन, पर अब भी रिस्क के मूड में नहीं लोग मजदूर-किसान हैं बेचैन, लॉकडाउन ने तोड़ दी कमर

By Prabhat Khabar | May 13, 2020 6:51 AM

जनता कर्फ्यू से 57 दिन घरों में कैद रहे, धैर्य से समाज ने काटे दिन, पर अब भी रिस्क के मूड में नहीं लोग मजदूर-किसान हैं बेचैन, लॉकडाउन ने तोड़ दी कमर

रांची : जनता कर्फ्यू (22 मार्च) के साथ शुरू लॉकडाउन के 57 दिन पूरे हो चुके हैं. इस बीच लगभग सभी तरह की व्यापारिक, सामाजिक व पारंपरिक गतिविधियां ठप रही हैं. कोविड-19 से बचाव के लिए लोग करीब दो महीनों से अपने घरों में ही कैद हैं. लेकिन, कोरोना वायरस का डर अभी गया नहीं है. राज्य के विभिन्न हिस्सों में छिटपुट मिल रहे मरीजों की वजह से भय का माहौल कायम है.

दूसरी तरफ, लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था की हालत खराब हो रही है. निजी कंपनियों में काम करने वालों की नौकरी पर तलवार लटक रही है. वेतन में कटाैती की जा रही है. गरीबों के तो खाने-पीने पर भी आफत है. किसानों का हाल बुरा है, तो रोज कमाने-खाने वाले दाने-दाने को मोहताज हैं. ऐसे में लॉकडाउन बढ़ाने या इसे समाप्त करने को लेकर देश भर में बहस चल रही है. तमाम दिक्कतों के बावजूद पूरी तरह से लॉकडाउन हटाने पर लोग सहमत नहीं लग रहे हैं. ज्यादातर लोगों का कहना है कि अभी संकट टला नहीं है. एक ही बार में छूट मिलने से संक्रमण का खतरा बढ़ जायेगा. लॉकडाउन धीरे-धीरे खत्म करना चाहिए. प्रभात खबर ने इसी मुद्दे पर समाज के विभिन्न वर्गों से उनकी राय जानने के लिए सर्वे किया है.

किसान नहीं चाहते लॉकडाउनराज्य के किसान नहीं चाहते हैं कि लॉकडाउन जारी रहे. सर्वे में ज्यादातर किसानों का कहना था कि लॉकडाउन हटा दिया जाना चाहिए. सोशल डिस्टेंसिंग की शर्त पर पैदावार को बाजार व उचित कीमत मिलनी ही चाहिए. लगातार नुकसान झेलने के बाद अब सबकी हिम्मत टूट गयी है. हालांकि कुछ किसानों ने देशहित में लॉकडाउन जारी रखने की बात भी कही है.

डॉक्टरों ने लॉकडाउन को ही माना उपाय डॉक्टर लॉकडाउन को ही कोविड-19 के संक्रमण से बचने का सबसे कारगर उपाय मानते हैं. 10 में से सात डॉक्टरों का कहना है कि अचानक छूट देने से लोग सड़क पर आ जायेंगे. प्रावासी मजदूरों व बाहर पढ़ रहे छात्रों के लौटने से स्थिति और बिगड़ सकती है. लॉकडाउन अब भी जरूरी है. वहीं, कुछ डॉक्टरों का मानना है कि सामाजिक दूरी बनाते हुए दिनचर्या पटरी पर लाने की कोशिश होनी चाहिए. अब कोरोना वायरस के बीच ही जीने की आदत डालनी होगी.

व्यापारियों को सता रहा है लॉकडाउनकरीब 90 फीसदी उद्योगपति व व्यवसायी लॉकडाउन खत्म करने के पक्ष में हैं. उनका कहना है कि लॉकडाउन से बेरोजगारी बढ़ेगी. अर्थव्यवस्था चरमरा जायेगी. कर्मचारियों को बैठा कर वेतन नहीं दिया जा सकता है. बैंकों का कर्ज और देनदारी बढ़ती जा रही है. आमदनी के स्रोत बंद हैं. सोशल डिस्टेंसिंग की शर्त पर व्यवसाय करने की छूट मिलनी चाहिए. कुछ व्यापारियों ने कहा कि सरकार चाहे, तो व्यापार का समय भी निर्धारित कर सकती है.

छात्रों को जरूरी लग रहा है लॉकडाउनविद्यार्थियों को लॉकडाउन जरूरी लग रहा है. सर्वे में शामिल करीब 60 प्रतिशत विद्यार्थियों ने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए लॉकडाउन एकाएक खत्म नहीं किया जाना चाहिए. इसकी अवधि बढ़नी चाहिए. बाहर से मजदूर और छात्र संक्रमण का खतरा लेकर साथ आ रहे हैं. उनकी वजह से लॉकडाउन जरूरी है. वहीं, कुछ छात्रों का कहना था कि पढ़ाई में हो रहे नुकसान को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ शिक्षण संस्थान खोले जाने चाहिए.

सरकारी कर्मचारी बढ़ाने व निजी कर्मचारी लॉकडाउन हटाने के पक्ष मेंकर्मचारियों में आधे लॉकडाउन के पक्ष में और आधे विपक्ष में खड़े नजर आते हैं. सरकारी कर्मचारी चाहते हैं कि लॉकडाउन की अवधि बढ़े. जबकि, प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी चाहते हैं कि लॉकडाउन समाप्त हो. उनका कहना है कि लॉकडाउन बढ़ा, तो परिवार के समक्ष भूखमरी की नौबत आ जायेगी.

छूट के साथ लॉकडाउन बढ़ाना चाहते हैं अधिवक्तावकील छूट के साथ लॉकडाउन बढ़ाने केे पक्ष में हैं. करीब 90 फीसदी वकीलों का मानना है कि कोविड-19 के खतरे को देखते हुए छूट का दायरा बढ़ाते हुए लॉकडाउन जारी रखा जाये. शर्तों के साथ लॉकडाउन खोलने से लोगों का जीवन सरल होगा. जीविकोपार्जन में आ रही परेशानियों को देखते हुए आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाये. वकील सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन सख्ती के साथ लागू कराने के पक्षधर हैं.

शिक्षण संस्थानों को अभी बंद रखना चाहते हैं शिक्षकशिक्षकों का कहना है लॉकडाउन चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाना चाहिए. लॉकडाउन बढ़ने से लोगों की परेशानी तेजी से बढ़ रही है. हर क्षेत्र में कठिनाई उत्पन्न होने लगी है. स्कूल, कॉलेज व अन्य शिक्षण संस्थान अभी पूरी तरह से बंद रखना चाहिए. लेकिन आर्थिक गतिविधियां शुरू कर देनी चाहिए. देशहित में लॉकडाउन नहीं तोड़ना चाहते ऑटो चालकडीजल, इ-रिक्शा, पेट्रोल ऑटो चालक लॉकडाउन खोलने के पक्ष में नहीं हैं. उनका कहना है कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या रोज बढ़ रही है. स्थिति सामान्य होने पर ही लॉकडाउन हटाया जाना चाहिए. ऑटो चालकों ने कहा कि लॉकडाउन से परेशानी तो काफी हो रही है. कइयों की स्थिति दयनीय हो गयी है. लेकिन, देश व राज्य सबसे पहले है. हमलोग खुद को संभाल लेंगे. देश सुरक्षित रहेगा, तब ही हम सुरक्षित रहेंगे.

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