सालखन मुर्मू के बयान पर जैन समाज और आदिवासी सेंगेल आमने-सामने, FIR के जवाब में पुतला दहन का ऐलान

मरांग बुरू विवाद मामले में 9 फरवरी को सालखन मुर्मू ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि पारसनाथ आदिवासियों का मरांग बुरू है. यह उन्हें नहीं सौंपा गया, तो वे जैन मंदिरों को ध्वस्त कर देंगे.

By Sameer Oraon | February 17, 2023 12:07 PM

पूर्व सांसद सालखन मुर्मू के बयान पर जैनियों आक्रोश उग्र होता जा रहा है. विश्व जैन संगठन के अध्यक्ष संजय जैन ने पूर्व सांसद पर अविलंब एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तार करने की मांग की है. इसके विरोध में आज जैन समाज 5 प्रदेशों में सालखन मुर्मू के खिलाफ पुतला दहन के साथ सभी जगहों पर प्राथमिकी भी दर्ज करायेगा. ये फैसला कल जैन समुदाय के लोगों ने जूम मीटिंग पर लिया. इसमें 242 सदस्य शामिल थें.

क्या है मामला

मरांग बुरू विवाद मामले में 9 फरवरी को सालखन मुर्मू ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि पारसनाथ आदिवासियों का मरांग बुरू है. यह उन्हें नहीं सौंपा गया, तो वे जैन मंदिरों को ध्वस्त कर देंगे. इस बयान के बाद से जैम समाज के लोगों में उबाल है. जिसके बाद विश्व जैन संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय जैन ने प्रेस वर्ता कर उनके इस बयान की अलोचना की थी, और झारखंड सरकार से कार्रवाई की माग की थी.

आदिवासियों सेंगल के लोगों ने किया था रेल और चक्का जाम

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले की आदिवासी सेंगल अभियान के लोगों ने झारखंड समेत 5 राज्यों में रेल और चक्का जाम किया था. उनका कहना है कि मरांग बुरू पर पहला अधिकार हम आदिवासियों का है. इसलिए केंद्र और राज्य सरकार, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग बहुपक्षीय वार्तालाप शुरू करें. आवश्यक हो तो एक राष्ट्रीय आयोग का भी गठन कर इसका न्याय संगत निर्णय अविलंब प्रस्तुत करें. अन्यथा मरांग बुरू को जैनियों के कब्जे में सुपुर्द करने के हेमंत सोरेन सरकार के एकतरफा फैसले का सेंगेल द्वारा विरोध जारी रहेगा.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सुपुर्द किया गया है मांग पत्र

आपको बता दें कि मरांग बुरु को आदिवासियों को अविलंब सुपुर्द करने की मांग संबंधी विस्तृत पत्र सेंगेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 14 जनवरी 2023 को प्रेषित कर दिया था. साथ ही साथ उन्होंने मीडिया के माध्यम से भी बार-बार अपनी स्टैंड को साफ कर दिया है. सालखन मुर्मू का इस मामले पर कहना है कि हमारी मांग मरांग बुरू अर्थात पारसनाथ पहाड़ को अविलंब आदिवासियों को सुपुर्द किया जाए. हमें राम मंदिर आंदोलन की तरह उग्र एवं आक्रमक होने के लिए मजबूर न किया जाए. न्याय और अधिकार पाने के हम आदिवासी भी हकदार हैं. भारतीय संविधान हमें यह अधिकार प्रदान करता है.

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