Jharkhand Vidhansabha Monsoon Session : नियोजन नीति को लेकर पक्ष-विपक्ष में तकरार, हेमंत सोरेन ने कहा- भाजपा सरकार ने राज्य को दो हिस्से में बांटा

विधानसभा में मॉनसून सत्र के अंतिम दिन मंगलवार को हाइकोर्ट द्वारा पूर्ववर्ती सरकार के नियोजन नीति को खारिज करने के मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष में तकरार हुई. विपक्ष ने सरकार पर राज्य के नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया.

By Prabhat Khabar | September 23, 2020 6:45 AM

रांची : विधानसभा में मॉनसून सत्र के अंतिम दिन मंगलवार को हाइकोर्ट द्वारा पूर्ववर्ती सरकार के नियोजन नीति को खारिज करने के मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष में तकरार हुई. विपक्ष ने सरकार पर राज्य के नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया. वहीं, सत्ता पक्ष का कहना था कि पूर्व की सरकार की गलत नीतियों के कारण युवाओं का भविष्य अधर में लटक गया है. भाजपा विधायकों ने सरकार से इस मामले में जवाब मांग. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि हाइकोर्ट का निर्णय आया है. इसकी समीक्षा होगी. इसके बाद फैसला लिया जायेगा.

मुख्यमंत्री ने पिछली सरकार पर कटाक्ष किया, कहा : जैसी करनी-वैसी भरनी. पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने राज्य को दो हिस्सों में बांटने की कोशिश की थी. हाइकोर्ट के निर्णय के बाद हजारों लोगों की नियुक्ति प्रक्रिया स्थगित हो गयी है. पिछली सरकार ने वह काम किया, जिसकी अनुमति संविधान नहीं देता है. श्री सोरेन ने कहा की सीसैट के मामले को लेकर उनसे भी गलती हुई थी. उन्होंने उस भूल को स्वीकार किया था और सुधार कर नियुक्ति भी करायी. पिछली सरकार में नियोजन नीति के नाम पर गैर आरक्षित जिलों में नियुक्ति के लिए उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार के युवाओं के लिए रास्ता खोल दिया गया.

पिछली सरकार ने नियमावली बनाकर शिक्षकों और सहायक पुलिसकर्मियों को फंसाने का काम किया. इससे राज्य में रहनेवाले सामान्य वर्ग को काफी नुकसान उठाना पड़ा. इस बात की तकलीफ उन्हें भी है. अब सरकार मामले का आकलन करेगी और समीक्षा के बाद फैसला लेगी. चर्चा के दौरान भाजपा विधायक अमर बाउरी ने कहा कि स्थानीय नीति नहीं होने के कारण नियुक्ति प्रभावित हो रही थी.

इसको लेकर पिछली सरकार ने स्थानीय नीति बनाकर रोजगार दिया. शिड्यूल एरिया में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरी में स्थानीय लोगों के लिए शत प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया गया. फिलहाल सत्ता पक्ष में बैठे लोग आरोप लगाते थे कि पूर्व की सरकार आदिवासी विरोधी है. अब जब शत प्रतिशत स्थानीय की बहाली हुई है, तो सत्ता पक्ष के लोगों को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. क्योंकि सत्ता पक्ष में बैठे लोग 1932 के खतियान की बात करते हैं. एक तरफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में डीजीपी का पक्ष रखने के लिए पैसे खर्च कर हरीश साल्वे जैसे वकील को रखती है. वहीं, दूसरी तरफ इस मामले में कोई पहल नहीं की गयी.

मुख्य बातें :- 

  • हाइकोर्ट के फैसले की समीक्षा की जायेगी उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जायेगा

  • मुख्यमंत्री ने क्या कहा

  • पिछली सरकार ने यूपी बंगाल और बिहार के युवाओं के लिए रास्ता खोल दिया था

  • नियमावली बनाकर शिक्षकों और सहायक पुलिसकर्मियों को फंसाने का काम किया

शीतकालीन सत्र में आयेगा सरना धर्म कोड का प्रस्ताव : मॉनसून सत्र के समापन के मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरना धर्म कोड के मामले पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि इसको लेकर सरकार गंभीर है. विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले सरकार प्रस्ताव तैयार कर लेगी़ अगले विधानसभा सत्र में इस प्रस्ताव को सदन से पास करा कर केंद्र को भेज दिया जायेगा. आदिवासियों के मान-सम्मान व उनके पहचान का ख्याल सरकार रखेगी.

किसानों व रैयतों को मिलेगा वाजिब मुआवजा : विधायक प्रदीप यादव की ओर से ध्यानाकर्षण सूचना के तहत उठाये गये सवाल पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि किसान व रैयतों के मुआवजा को लेकर सरकार गंभीर है. सरकार भी चाहती है कि इन्हें वाजिब मुआवजा मिले. इससे पहले प्रभारी मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि जनता के हित में फैसला लिया जायेगा. सरकार का प्रयास होगा कि किसी तरह से रैयतों का हित प्रभावित नहीं हो. विधायक प्रदीप यादव ने सरकार पिछली सरकार की ओर से भूमि बैंक बनाने को लेकर रैयतों से ली गयी जमीन पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि यह प्रावधान गलत है. सरकार इस नीति को बदले. रैयतों को जमीन के एवज में उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है.

Post by : Pritish Sahay

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