Lumpy Skin Virus : झारखंड में भी पैर पसार रहा लंपी वायरस, पशुओं की मौत से बढ़ गयी है पशुपालकों की चिंता

Lumpy Skin Virus : देश के राजस्थान, गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश समेत दर्जनभर राज्यों में कोहराम मचा चुका लंपी वायरस अब झारखंड में भी अपने पैर पसार रहा है. देवघर और हजारीबाग के साथ ही रांची में भी इस वायरस के फैलने की आशंका जतायी जा रही है. कई पशुओं की मौत हो चुकी है, जिससे पशुपालक दहशत में हैं.

By Guru Swarup Mishra | September 20, 2022 7:02 PM

Lumpy Skin Virus : देश के राजस्थान, गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश समेत दर्जनभर राज्यों में कोहराम मचा चुका लंपी वायरस अब झारखंड में भी अपने पैर पसार रहा है. देवघर और हजारीबाग के साथ ही रांची के नगड़ी, मांडर, चान्हो, लापुंग, ओरमांझी, सोनहातू व राहे प्रखंड में भी इस वायरस के फैलने की आशंका जतायी जा रही है. बीते एक सप्ताह में यहां लंपी स्किन डिजीज से संक्रमित कई पशुओं की मौत हो चुकी है, जिससे यहां के पशुपालक दहशत में हैं. झारखंड के अतिरिक्त यह वायरस बिहार में भी फैल रहा, पर संतोष की बात है कि वायरस का संक्रमण अभी इस राज्य में कम है.

क्या है लंपी स्किन डिजीज

लंपी स्किन डिजीज एक वायरल बीमारी है. ग्लोबल एलायंस फॉर वैक्सीन्स एंड इम्युनाइजेशन (जीएवीआई) के अनुसार, लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) कैप्रीपॉक्स वायरस के कारण होता है, जो वर्तमान में दुनियाभर के पशुधन के लिए एक उभरता हुआ खतरा है. यह वायरस अनुवांशिक रूप से पॉक्स परिवार (गोटपॉक्स और शीपपॉक्स वायरस परिवार) से संबंधित है.

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कैसे फैलता है यह वायरस

एलसीडी मुख्य रूप से मवेशियों के संक्रमित मच्छर, मक्खी, ततैया, जूं जैसे खून चूसने वाले कीटों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है. इसके अतिरिक्त, इस बीमारी का प्रसार संक्रमित पशुओं के नाक से होने वाले स्राव, दूषित भोजन और पानी के सेवन से भी होता है.

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क्या हैं लक्षण

लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं के शरीर के अधिकतर भागों में मोटे-मोटे गोलाकार चकत्ते (2-5 सेमी) निकल आते हैं, जो गांठ यानी लंप की तरह दिखाई देते हैं. इन गांठों में बहुत खुजली होती है. नतीजा, पशु इन्हें खुजला-खुजलाकर घाव कर लेते हैं.

संक्रमण से ग्रस्त पशुओं के शरीर का तापमान बढ़ जाता है, यानी उन्हें तेज बुखार आ जाता है ..

वायरस से संक्रमित होने के तुरंत बाद मवेशियों का वजन कम होने लगता है, उनकी भूख मर जाती है. इसके साथ ही, पशुओं का दूध उत्पादन कम हो

जाता है और मुंह एवं ऊपरी सांस नली में घाव हो जाता है.

इतना ही नहीं, संक्रमित पशुओं के पैरों में सूजन व लंगड़ापन आ जाता है, जिससे उनकी काम करने की क्षमता कम हो जाती है.

संक्रमण के अन्य लक्षणों में नाक, मुंह और आंख से पानी आना शामिल है.

गर्भवती गाय और भैंस का प्राय: गर्भपात भी हो जाता है और इस कारण कई पशुओं की मृत्यु तक हो जाती है.

पशुओं के शरीर पर निकलने वाले चकत्तों में जीवाणुओं का संक्रमण बढ़ जाता है.

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