Jharkhand News : बैंक व सरकारी योजना से जुड़ कर स्वावलंबी बन रहीं ये महिलाएं, लोगों को कर रही हैं प्रेरित

झारखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत राज्य में अब तक 2.54 लाख सखी मंडल के गठन के माध्यम से करीब 32 लाख परिवारों को सखी मंडल से जोड़ा गया है. करीब एक लाख सखी मंडलों को 387 करोड़ की राशि सामुदायिक निवेश निधि के तहत दी गयी है. वहीं सखी मंडलों को कुल 1824 करोड़ का ऋण ग्रामीण आजीविका मिशन के क्रेडिट लिंकेज के माध्यम से बैंकों द्वारा दिया गया है. वहीं एक साल में क्रेडिट लिंकेज के तहत करीब 550 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया. इन आर्थिक सहायता की मदद से अब ग्रामीण महिलाएं स्वावलंबन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही हैं.

By Prabhat Khabar | February 11, 2021 9:01 AM

sakhi mandal jharkhand status, sakhi mandal loan schemes in jharkhand रांची : सखी मंडल की महिलाएं क्रेडिट लिंकेज से जुड़ कर सशक्त हो रही हैं. इसके तहत उन्हें बैंकों से कम ब्याज दर पर ऋण दिलाया जाता है. महिलाएं आजीविका के विभिन्न संसाधनों से जुड़ कर खुद को स्वावलंबी बना रही हैं. वह दुकान और होटल सहित अन्य व्यवसायों में सफल हो रही हैं. ग्रामीण विकास विभाग के झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के माध्यम से सारा काम हो रहा है. कई महिलाअों ने क्रेडिट लिंकेज से जुड़ कर अपना व्यवसाय शुरू किया है और अच्छी आय का जरिया ढूंढ़ लिया है.

Rural livelihood mission status in jharkhand state. 32 लाख परिवारों को सखी मंडल से जोड़ा गया :

झारखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत राज्य में अब तक 2.54 लाख सखी मंडल के गठन के माध्यम से करीब 32 लाख परिवारों को सखी मंडल से जोड़ा गया है. करीब एक लाख सखी मंडलों को 387 करोड़ की राशि सामुदायिक निवेश निधि के तहत दी गयी है. वहीं सखी मंडलों को कुल 1824 करोड़ का ऋण ग्रामीण आजीविका मिशन के क्रेडिट लिंकेज के माध्यम से बैंकों द्वारा दिया गया है. वहीं एक साल में क्रेडिट लिंकेज के तहत करीब 550 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया. इन आर्थिक सहायता की मदद से अब ग्रामीण महिलाएं स्वावलंबन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही हैं.

क्या क्रेडिट लिंकेज :

आजीविका मिशन के माध्यम से स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को स्वावलंबी बनाने के लिए आर्थिक मदद दी जाती है. पहली स्थिति में चक्रीय निधि के रूप में 15 हजार रुपये का ग्रांट दिया जाता है. वहीं सामुदायिक निवेश निधि के रूप में 50 हजार का ऋण दिया जाता है. एक सखी मंडल में 10-12 महिला सदस्य होती हैं. ऐसे में उन्हें ज्यादा राशि की जरूरत होती है, तो क्रेडिट लिंकेज के माध्यम से बैंकों से उन्हें जोड़ा जाता है. फिर बैंकों से कम ब्याज दर पर ऋण दिलाया जा रहा है. इसके लिए प्रावधान भी है. ऋण वापसी पर सब्सिडी की भी सुविधा है.

देवंती दो-दो दुकान की मालकिन बनीं :

गिरिडीह जिले के पोरदाग गांव की 42 वर्षीया देवंती देवी आज दो-दो दुकानों की मालकिन हैं. वह सखी मंडल में पुस्तक संचालिका का काम करती थीं. तीन साल पहले सखी मंडल को मिलने वाले क्रेडिट लिंकेज से 50,000 का लोन लेकर चाय-नाश्ता का होटल शुरू किया था. जिससे उनकी रोज की आमदनी 500 से 1000 रुपये होने लगी. देवंती यहीं नहीं रुकीं. अपनी सफलता से उत्साहित होकर उन्होंने एक साल के बाद लोन चुका दिया और फिर से एक राशन दुकान की शुरुआत की. इस राशन दुकान के चलाने में बेटे भी उनकी मदद करते हैं.

ग्रामीण विकास विभाग के झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी से मिल रही मदद

कई महिलाअों ने क्रेडिट लिंकेज से जुड़ कर अपना व्यवसाय शुरू किया

एक साल में 550 करोड़ का ऋण उपलब्ध कराया गया महिलाअों को

क्रेडिट लिंकेज की मदद से देवंती ने दो दुकानें खोल ली हैं.

Posted By : Sameer Oraon

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