पेसा नियमावली पर झारखंड हाईकोर्ट गंभीर, बालू घाटों और लघु खनिजों के आवंटन पर लगायी रोक
Jharkhand High Court: झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने पेसा नियमावली लागू करने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर प्रार्थी और राज्य सरकार पक्ष सुना. सरकार का पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अगले आदेश तक झारखंड में बालू घाटों और लघु खनिजों के आवंटन पर रोक लगा दी है. खंडपीठ ने विभागीय सचिव से पूछा कि जनहित याचिका में आदेश पारित हुए 13 माह से अधिक समय बीतने के बाद भी अब तक पेसा नियमावली क्यों नहीं लागू की गयी है?
Jharkhand High Court: रांची, राणा प्रताप-झारखंड हाईकोर्ट ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम-1996 के तहत नियमावली बनाने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी और राज्य सरकार पक्ष सुना. सरकार का पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अगले आदेश तक झारखंड में बालू घाटों और लघु खनिजों के आवंटन पर रोक लगा दी है. खंडपीठ ने विभागीय सचिव से पूछा कि जनहित याचिका में आदेश पारित हुए 13 माह से अधिक समय बीतने के बाद भी अब तक पेसा नियमावली क्यों नहीं लागू की गयी है? नियमावली को लेकर जिन विभागों से मंतव्य मांगा गया है, सभी सरकार के ही विभाग हैं. इसके बावजूद समय क्यों लग रहा है? खंडपीठ ने सरकार को दो सप्ताह का समय देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 सितंबर की तिथि निर्धारित की है.
पेसा नियमावली पर आठ विभागों ने नहीं दिया है मंतव्य
मामले की सुनवाई के दौरान पंचायतीराज विभाग के सचिव मनोज कुमार झारखंड हाईकोर्ट में सशरीर उपस्थित थे. उनकी ओर से अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश ने खंडपीठ को बताया कि पेसा नियमावली को लेकर 17 विभागों से मंतव्य मांगा गया था. 28 अगस्त तक आठ विभागों ने अपना मंतव्य दिया है, जबकि नौ विभागों से मंतव्य मिलना बाकी है. इसमें विधि व वित्त विभाग भी शामिल है. विधि व वित्त विभाग से मंतव्य मिलने के बाद इसे कैबिनेट की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा. कैबिनेट की स्वीकृति मिलते ही नियमावली लागू कर दी जाएगी.
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जानबूझकर देर कर रही सरकार-अजीत कुमार
प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने राज्य सरकार की दलील का विरोध किया. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि हाईकोर्ट ने वर्ष 2024 में ही दो माह के अंदर पेसा नियमावली अधिसूचित करने का आदेश राज्य सरकार को दिया था. कोर्ट ने कहा था कि संविधान के 73वें संशोधन के उद्देश्यों के अनुरूप तथा पेसा कानून के प्रावधान के अनुसार नियमावली बना कर लागू किया जाए, लेकिन वह अब तक लागू नहीं किया गया है. राज्य सरकार की ओर से बालू घाटों के आवंटन की प्रक्रिया शुरू की गयी है. पेसा नियमावली लागू करने के पहले सरकार स्वयं बालू घाटों का टेंडर करना चाहती है. इस कारण जानबूझ कर नियमावली लागू करने में विलंब किया जा रहा है. विभागों से मंतव्य लेने में सरकार को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. प्रार्थी आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से अवमानना याचिका दायर की गयी है. अब तक राज्य के शिड्यूल एरिया में पेसा नियमावली को लागू नहीं किया गया है.
